मंगलवार, सितम्बर 26, 2023
31.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

होमEDITORIAL News in Hindiप्रश्नपत्र में सौ टंच माल

प्रश्नपत्र में सौ टंच माल

- Advertisement -

कल आफिस से निकला, तो चाय पीने का मन हुआ। आफिस के सामने ही स्थित चाय की दुकान पर गया। चाय वाले ने बाहर रखे स्टूल पर बैठने का इशारा किया और चाय बनाने में मशगूल हो गया। स्टूल के पास ही फरीदाबाद के ही किसी स्कूल की रद्दी में बेची गई उत्तर पुस्तिकाएं पड़ी हुई थीं।

उत्सुकतावश एक उत्तर पुस्तिका मैंने उठा ली। बारहवीं कक्षा के कॉमर्स विषय के परीक्षार्थी ने उत्तर के साथ-साथ प्रश्न भी लिखा था। सबसे ज्यादा आश्चर्य तो मुझे तीसरे प्रश्न पर हुआ। परीक्षा में पूछा गया था, ‘सौ टंच माल की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए और वर्तमान संदर्भों में सौ टंच माल की उपयोगिता बताइए।’ प्रश्न पढ़कर मैं जितना चौंका था, उससे ज्यादा मजेदार उत्तर परीक्षार्थी ने दिया था। अपने पाठकों के लिए परीक्षार्थी द्वारा लिखे गए जवाब को बिना संपादित किए प्रस्तुत किया जा रहा है।

परीक्षार्थी ने लिखा था, ‘वैसे तो ‘सौ टंच माल’ शब्द का ज्यादातर उपयोग उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, बिहार, छत्तीसगढ़ इलाके में व्यवसाय करने वाले सुनार सोने की शुद्धता के संदर्भ में करते हैं। सौ टंक माल का निहितार्थ यह है कि अमुक सोना सौ फीसदी शुद्ध और खरा है। इसमें मिलावट नहीं की गई है।

सामाजिक जीवन में इस शब्द का उपयोग महिलाओं के ‘टनाटन’ होने या न होने के अर्थ में किया जाता है। अब आप मेरे पड़ोस में रहने वाली छबीली आंटी को ही लें। मेरी दृष्टि से वे ‘बहत्तर टंच माल’ हैं। वैसे तो वे सुंदर हैं, जवान हैं, सबसे हंस कर बोलती हैं। मोहल्ले के सारे जवान उनसे बतियाने को लालायित रहते हैं।

बतरस (किसी सुंदर महिला से मीठी-मीठी बातें करके रस लेना) की लालच में मेरे पिता जी भी कई बार आफिस से आते या आफिस जाते समय उनके घर के सामने अपना खटारा स्कूटर खड़ा करके दस-पंद्रह मिनट गुजार ही लेते हैं। खुदा न खास्ता, अगर उसी समय मेरी मम्मी बाहर निकल आती हैं, तो वे स्कूटर को आड़ा-तिरछा करके ऐसा जाहिर करने लगते हैं, मानो वह चलते-चलते बंद हो गया हो या फिर पेट्रोल खत्म हो गया हो अथवा कोई दूसरी खराबी आ गई हो। उस समय छबीली आंटी भी मुस्कुराती हुई अंदर चली जाती हैं।

मम्मी पहले तो दुर्गा की तरह पापा को घूरती हैं और पापा के खटारा लेकर आगे बढ़ जाने पर अंदर चली जाती हैं। अब अगर मेरी दृष्टि से देखा जाए, तो छबीली आंटी बहत्तर टंच माल हैं। वैसे मेरे पापा से अगर पूछा जाए, तो उनके मुताबिक छबीली आंटी सौ टंच माल ही होंगी।

मेरी बात से एक बात यह साबित होती है कि ‘टंच’ वह शब्द है जिसका अर्थ, संदर्भ और प्रसंग बदल जाने पर बदल जाता है। कोई भी माल कितना टंच है, यह जौहरी द्वारा मुनाफा कमाने की दर और ‘बट्टे’ पर निर्भर करता है। कुछ जौहरी किसी माल पर पांच फीसदी बट्टा काटते हैं, तो कोई दस। कुछ ऐसे भी जौहरी हैं, जो पूरा माल ही बट्टे में हजम कर जाते हैं। अगर मैं जौहरी होता, तो छबीली आंटी के मामले में अट्ठाइस फीसदी ‘बट्टा’ वसूलता। यही वजह है कि मैंने बहत्तर टंच माल ही छबीली आंटी को माना है।’

इसके बाद नया पैराग्राफ बनाकर लिखा गया था, ‘मेरे घर के पीछे की साइड में रहने वाली ‘कल्लो भटियारिन’ सौ टंच माल है। आप मोहल्ले के किशोर से लेकर बुजुर्ग तक राय शुमारी करवा लें, कल्लो को कोई भी सौ टंच से नीचे नहीं कहेगा। वैसे तो उसकी उम्र अभी बाइस साल ही है, एकदम पटाखा है, लेकिन उसके दर्शन को मेरे घर की दायीं तरफ रहने वाले बासठ वर्षीय मुंहबोले नाना जी, मेरे घर के सामने रहने वाले सत्तर वर्षीय ताया जी, एकदम पड़ोस में रहने वाले चालीस वर्षीय चाचा जी किसी न किसी बहाने चावल, चना, मक्के का दाना, गेहूं भुजाने चले जाते हैं।

दरअसल, कल्लो घर पर ही भाड़ झोंकने (भड़भूजे का काम) का काम करती है। मेरा चचेरा भाई दुखहरन कल्लो के घर के सामने से गुजरते हुए यह जरूर गाता है, ‘गोरी करौ न गुरूर, गोरी करौ न गुरूर, तुहैं लै चलब जरूर..दुपहरिया मा।’
एक दिन मैंने उससे पूछा, तो उसने खिलखिलाते हुए कहा, कल्लो पांच सौ टंच माल है। उत्तर पुस्तिका निरीक्षक महोदय, मैं अभी नाबालिग हूं, इस वजह से मैं भाई दुखहरन के इस अपहरण गीत का भावार्थ नहीं समझ सका।

मैंने उससे पूछा, तो उसने मेरे गाल पर दो कंटाप जमाने के बाद भगा दिया। मैं कंटाप के चलते लाल हो गए गाल को सहलाता हुआ घर लौट आया था। यही वजह है कि मैं इस अपहरण गीत की व्याख्या नहीं कर सकता। वैसे एक बात बताऊं, उत्तर पुस्तिका निरीक्षक महोदय। मेरी गर्लफ्रेंड कुकू (कोकिला) भी नब्बे टंच माल है।

उत्तर पुस्तिका निरीक्षक महोदय, अगर आप बुरा न मानें, तो मैं पूछना चाहता हूं कि आपकी भी कभी न कभी कोई न कोई गर्लफ्रेंड जरूर रही होगी। आपकी गर्लफ्रेंड कितने टंच माल है? अगर नब्बे से सौ टंच के बीच में हो, तो आपको उस प्रेमिका की कसम, मुझे नब्बे से सौ टंच के बीच में अंक भी दीजिएगा।’

Writer :-

अशोक मिश्र
- Advertisement -

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Banana Peels: केले के छिलके से मिलेंगे ये जबरदस्त फायदे, जानें कैसे

Banana Peels Benifits: केले एक लोकप्रिय फल है जिसे दुनिया भर में लोग पसंद करते हैं। ये स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पोषक तत्वों से...

Pakistan Poverty Rate: पाकिस्तान को लगा तगड़ा झटका

गरीबी का पाकिस्तान के समाज पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। गरीब लोग अक्सर भूख, कुपोषण, स्वास्थ्य समस्याओं और शिक्षा की कमी का सामना करते हैं। वह अक्सर हिंसा और अपराध का शिकार भी होते हैं।

Parineeti Raghav Reception: जानिए कब और कहां होगी Reception पार्टी

परीणीति और राघव की शादी 24 सितंबर, 2023 को राजस्थान के उदयपुर में हुई। शादी की रस्में उदयपुर के लीला पैलेस में हुई थी। शादी में परिवार के सदस्यों और करीबी दोस्त ही शामिल हुए।

Recent Comments