आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को घोषणा करते हुए बताया कि दिल्ली के सराय काले खां अंतरराज्यीय बस टर्मिनल (ISBT) बस स्टैंड चौक का नाम बदलकर भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर रखा गया है. तो ऐसे में अब सराय काले खां ISBT को बिरसा मुंडा चौक के नाम से जाना जाएगा.
स्वतंत्रता सेनानी का जन्म 1875 में वर्तमान झारखंड में हुआ था. बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश शासन को चुनौती दी थी और उन्हें साम्राज्य के खिलाफ आदिवासियों को संगठित करने का श्रेय दिया जाता है. 25 साल की छोटी उम्र में ब्रिटिश हिरासत में उनकी मृत्यु हो गई.
बिरसा मुंडा ने 19वीं सदी के अंत में बंगाल प्रेसीडेंसी (अब झारखंड) में उठे आदिवासी धार्मिक सहस्राब्दी आंदोलन का नेतृत्व किया. विद्रोह मुख्य रूप से खूंटी, तमार, सरवाड़ा और बंदगांव के मुंडा बेल्ट में केंद्रित था.
बिरसा ने अपने शिक्षक जयपाल नाग के मार्गदर्शन में सालगा में शिक्षा प्राप्त की बाद में, बिरसा ने ईसाई धर्म अपनाकर जर्मन मिशन स्कूल में दाखिला लिया, लेकिन जल्द ही यह पता चलने के बाद कि अंग्रेज शिक्षा के माध्यम से आदिवासियों को ईसाई बनाने का लक्ष्य बना रहे हैं, उन्होंने स्कूल छोड़ दिया.