गुरूवार, सितम्बर 28, 2023
27.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

होमEDITORIAL News in Hindiदेव प्रतिमा निर्माण में भ्रष्टाचार भी, पर्दादारी भी!

देव प्रतिमा निर्माण में भ्रष्टाचार भी, पर्दादारी भी!

- Advertisement -

उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर के नए परिसर में ह्यमहाकाल लोकह्ण नामक एक गलियारे का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गत 11 अक्टूबर 2022 को पूरे धार्मिक एवं उल्लासपूर्ण वातावरण के साथ किया गया था। महाकाल लोक के गलियारे में ‘सप्तऋषि मंडल’ नाम से सप्तऋषि की प्रतिमाएं स्थापित की गई थीं। यहां जिन सप्तऋषियों की प्रतिमाएं लगाई गई थीं, वे थे वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भारद्वाज, अत्री, वामदेव तथा सुनक। फाइबर रेनफोर्स प्लास्टिक से निर्मित इन मूर्तियों की ऊंचाई 10 से 25 फीट के मध्य थीं। बताया जाता है कि महाकाल लोक निर्माण में लगभग 350 करोड़ रुपये की लागत आई थी। अपने उद्घाटन के मात्र सात माह बाद अर्थात गत 28 मई (रविवार ) को मात्र 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चली हवा के कारण महाकाल लोक में लगी छह मूर्तियां गिरकर खंडित हो गयीं और पेडस्टल से नीचे गिरकर उड़ती हुई दूर जा गिरीं।

इसके बाद सभी सप्तऋषि की प्रतिमाओं को महाकाल लोक की पार्किंग के पीछे छिपा दिया गया और इन्हें ढक दिया गया ताकि इन खंडित प्रतिमाओं की जानकारी आम लोगों को न मिल सके और टूटी मूर्तियां देखकर ‘सप्तऋषि मंडल’ के निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की वजह से लोगों में आक्रोश न पैदा हो। किसी प्रतिमा की गर्दन टूटकर अलग हो गई थी, तो कुछ प्रतिमाओं के हाथ अलग हो गए थे। कभी सोचा भी नहीं जा सकता कि लगभग 350 करोड़ रुपये की लागत से बनी एक महत्वपूर्ण धार्मिक परियोजना मात्र सात महीने बाद ही मामूली हवा का झोंका सहन न करते हुए तिनके की तरह बिखर जाएगी। खबर है कि महालोक के निर्माण का ठेका भी गुजरात की ही किसी ‘एमपी बाबरिया’ नामक कंपनी के पास था।

याद कीजिए, इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत वर्ष 16 जुलाई को जालौन के कथेरी गांव से बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का शुभारंभ किया था। उद्घाटन के साथ ही यह एक्सप्रेस-वे आवागमन के लिए खोल दिया गया था। उस समय सरकार के अधिकारियों ने एक्सप्रेस-वे को पूरी गुणवत्ता के साथ रिकॉर्ड समय में पूरा करने का दावा  करते हुए अपनी पीठ खुद ही थपथपाई थी। परन्तु उद्घाटन करने के मात्र पांच दिन बाद ही बरसात की पहली बारिश में ही इसी एक्सप्रेस-वे की सड़कें जगह जगह से धंस गई थीं। कई जगह एक फीट गहरे  गड्ढे हो गये। कुछ जगहों पर तो सड़क पर आठ फीट लंबा व एक फीट गहरा गड्ढा हो गया था। बाद में इस रास्ते को मरम्मत के लिए बंद करना पड़ा था। चित्रकूट से इटावा तक बने इस 296 किमी लंबे एक्सप्रेस-वे को 14800 करोड़ की लागत से बनाया गया था।

इस एक्सप्रेस वे के क्षतिग्रस्त होने के बाद भाजपा सांसद वरुण गांधी ने अपने ट्वीट से यह कहा था कि 15 हजार करोड़ की लागत से बना एक्सप्रेसवे अगर बरसात के पांच दिन भी न झेल सके, तो उसकी गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्न खड़े होते हैं। इस प्रोजेक्ट के मुखिया, सम्बंधित इंजीनियर और जिम्मेदार कंपनियों को तत्काल तलब कर उन पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। पिछले दिनों में गुजरात सहित देश के अनेक राज्यों से ऐसे कई समाचार आये जिनसे पता चला कि कहीं कोई निमार्णाधीन परियोजना मुकम्मल होने से पहले ही ध्वस्त हो गई तो कोई उद्घाटन से पहले दो-दो बार ढह चुकी। यह ऐसे समय में हो रहा है, जब विभिन्न सरकारें भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का ढिंढोरा पीट रही हैं।

भ्रष्टाचार से भी ज्यादा कष्टदायक स्थिति तब पैदा होती है, जब सरकारें भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने व भ्रष्टाचारियों को बचाने का प्रयास करते हुए भ्रष्टाचार को उजागर करने या उस पर सवाल उठाने वालों पर ही उंगली उठाने लगती हैं। जब उंगली उठाने वालों को ‘पहले खुद अपने गिरेबान में झांककर देखने’ जैसे प्रवचन देने लगती है। उदाहरण के तौर पर महाकाल लोक की मूर्तियां के खंडित होने के मामले में मध्य प्रदेश कोर्ट में गत दिनों एक जनहित याचिका दायर की गई।

यह जनहित याचिका कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने दायर की थी। याचिका में महाकाल लोक के निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा गया था कि ठेका लेने वाली कंपनी ने मूर्तियों की जिस गुणवत्ता का दावा निविदा में किया था, उस गुणवत्ता की मूर्तियां नहीं लगाई गईं। मूर्तियों के ऐसे खंडित होने से भक्तों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। याचिका में इस पूरे मामले की जांच सुप्रीमकोर्ट या हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज से करवाने की मांग करते हुए जिम्मेदारों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की गई थी। मध्य प्रदेश सरकार ने इस याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि यह याचिका चलन योग्य ही नहीं है। सरकार ने याचिका निरस्त करने की मांग भी की। 42 पेजों में दर्ज कराई गई अपनी आपत्ति में सरकार ने कहा कि जनहित याचिका राजनीति से प्रेरित है। याचिकाकर्ता कांग्रेस के नेता हैं। उन्होंने प्रचार पाने के लिए जनहित याचिका लगाई है।

इस घटना के बाद अनेक विशेषज्ञों के बयानों से साफ जाहिर हुआ कि मूर्ति निर्माण की गुणवत्ता सही नहीं थी। इसके निर्माण में हलके फाइबर का इस्तेमाल तो किया ही गया था, मूर्तियों के भीतर लोहे व सरिये के फ्रÞेम भी नहीं बनाए गए थे। इसे केवल और केवल सरकारी संरक्षण में होने वाली संगठित लूट ही कहा जा सकता है, अन्यथा सरकार द्वारा भ्रष्टाचारियों पर ऊँगली उठाई जाती न कि भ्रष्टाचार पर सवाल उठाने वालों पर? जनहित याचिकाएं दायर करने वाले लोग तो प्राय: किसी न किसी राजनीतिक दल या विचारधारा से ही जुड़े होते हैं। इसका अर्थ यह नहीं कि उनकी याचिकाएं निरस्त करने की सिफारिश की जाए? इसका सीधा मतलब है कि देव मूर्ति प्रतिमा निर्माण में भ्रष्टाचार भी और उस पर पर्दादारी भी?

निर्मल रानी

- Advertisement -

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

पलवल में रेलवे स्टेशन की 3 लिफ्टों का किया उद्घाटन, केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने की बड़ी घोषणा

पूजा शर्मा: हरियाणा के पलवल जिले में स्थित रेलवे स्टेशन पर बनाई गई तीन लिफ्टों का उद्घाटन करने के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री पहुंचे।...

Jai Seva Foundation : Faridabad नगर निगम में कर्मचारियों के लिए Blood Donation Camp का किया गया आयोजन

Faridabad News : Jai Seva Foundation एवं सहयोगी संस्था जागृति महिला समाजसेवी संगठन, लायंस क्लब फरीदाबाद डिवाइन, रेड क्रॉस सोसायटी फरीदाबाद के माध्यम से...

जेजेपी रैली पर महिलाओं ने लगाएं गंभीर आरोप, जेजेपी की महिला विंग ने दिया बड़ा बयान

25 सितंबर को पूर्व उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल की जयंती मनाई गई थी जिसको लेकर राजस्थान के सीकर में जेजेपी ने रैली आयोजित की...

Recent Comments