नोएडा के ‘दलित प्रेरणा स्थल’ पर अपनी मांगों को लेकर धरना (Farmer Protest) दे रहे 160 से अधिक किसानों को मंगलवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। ये किसान संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर सोमवार को उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से गौतम बुद्ध नगर में एकत्र हुए थे। किसानों ने सरकार द्वारा अधिग्रहित की गई जमीन के लिए उचित मुआवजे और अन्य मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों (Farmer Protest) ने धमकी दी थी कि अगर एक सप्ताह के भीतर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करेंगे। सोमवार को महामाया फ्लाईओवर के पास पुलिस ने किसानों को रोक दिया, जिसके बाद वे दलित प्रेरणा स्थल पर धरने पर बैठ गए।
मंगलवार को अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) शिव हरि मीणा के नेतृत्व में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए किसानों को धरना स्थल (Farmer Protest) से हटा दिया। इसमें भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर यादव ‘खलीफा’, भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष पवन खटाना, और अन्य प्रमुख किसान नेताओं को भी गिरफ्तार किया गया।
संयुक्त किसान मोर्चा ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए इसे शांतिपूर्ण विरोध के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया। मोर्चा ने न्यायपालिका से हस्तक्षेप की मांग की। एक बयान में, किसानों के समूह ने दावा किया कि पुलिस ने “एक सौ से अधिक महिलाओं सहित सैकड़ों किसानों” को जबरन गिरफ्तार किया और प्रदर्शन स्थल से हटा दिया।
गिरफ्तार किए गए किसान नेताओं ने साफ किया कि वे गिरफ्तारी से डरने वाले नहीं हैं और अपनी जायज मांगों के लिए संघर्ष जारी रखेंगे। सुखबीर यादव ने कहा कि किसानों को उनके हक का मुआवजा मिलना चाहिए और सरकार को उनकी मांगों पर ध्यान देना होगा।
इस बीच, किसानों की गिरफ्तारी के विरोध में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने मुजफ्फरनगर में शाम चार बजे एक पंचायत आयोजित की। पंचायत में आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया गया। भाकियू ने कहा कि सरकार को जल्द ही किसानों की मांगें माननी होंगी, अन्यथा यह आंदोलन व्यापक रूप ले सकता है।
यह मामला किसान आंदोलन के दौरान उठे बड़े सवालों को फिर से सामने लाता है, जैसे कि किसानों के अधिकार, भूमि अधिग्रहण नीति, और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के संवैधानिक अधिकार। किसानों ने साफ कर दिया है कि वे अपने हक के लिए पीछे नहीं हटेंगे।
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