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अफगानिस्तान-भारत की नजदीकी से दोनों को फायदा

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संजय मग्गू
अफगानिस्तान और भारत पिछले कुछ महीनों से नजदीक आ रहे हैं। इससे पाकिस्तान बिलबिला रहा है। अफगानिस्तान का भारत के नजदीक आना उसे सुहा नहीं रहा है। अब सवाल यह है कि भारत और अफगानिस्तान एक दूसरे के नजदीक क्यों आ रहे हैं? कारण यह है कि दोनों को एक दूसरे की जरूरत है। 15 अगस्त 2021 को जब तालिबानियों ने अफगानिस्तान पर अपना कब्जा जमाया था, तब भारत अपने अरबों डॉलर के निवेश की चिंता हुई थी। उसने तालिबानी शासन को मान्यता देने से इनकार कर दिया था। जिन दिनों अफगानिस्तान में अशरफ गनी की सरकार थी, तब भारत ने वहां पर अरबों डॉलर निवेश किए थे। ईरान में बनने वाले चाबहार बंदरगाह बना रहा है ताकि अफगानिस्तान के रास्ते मध्य एशिया तक कारोबार फैलाया जा सके। चाबहार परियोजना से ईरान और भारत के कारोबार में बढ़ोतरी तो होगी ही, मध्य एशिया के दूसरे देशों तक भारत का माल पहुंचाया जा सकता है। इस परियोजना के जरिये भारत चीन और पाकिस्तान को शिकस्त देना चाहता था। यह इच्छा अब भी है। चीन के आर्थिक सहयोग से पाकिस्तान ने अपने यहां ग्वादर बंदरगाह विकसित किया है। चीन और पाकिस्तान का भी ग्वादर बंदरगाह के जरिये वही इरादा है जो चाबहार परियोजना के जरिये भारत का है। तालिबानी शासन की मजबूरी यह है कि उनकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। महंगाई और बेरोजगारी ने हालात और भी खराब कर दिए हैं। अशरफ गनी शासन काल में जहां महिलाओं और पुरुषों को समान रूप से पढ़ने-लिखने, रोजी-रोजगार करने की छूट थी, तो वहां की महिलाएं भी नौकरी या कोई दूसरा काम करके अपनी आर्थिक दशा को मजबूत बनाए हुए थीं। तालिबानी शासन में महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियों के चलते आम परिवारों की आय काफी घट गई है। भारत से निकटता बढ़ने पर वहां की महिलाओं को काम करने या पढ़ने की छूट तो नहीं मिलेगी, लेकिन पूंजी निवेश करने और चाबहार पोर्ट के जरिये कारोबार बढ़ने पर अफगानिस्तान को भी फायदा होगा। वहां के पुरुषों की भी आय में इजाफा होगा, ऐसी स्थिति में लोगों की आर्थिक स्थिति में थोड़ा बहुत सुधार आएगा। यही वजह है कि पिछले बुधवार को दुबई में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुक्तकी और भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री की मुलाकात के दौरान अफगानिस्तान ने आर्थिक संबंध बढ़ाने पर कुछ ज्यादा ही जोर दिया।  भारत ने अफगानिस्तान में नई विकास परियोजनाओं के साथ पुरानी बंद पड़ी विकास परियोजनाओं में फिर से पैसा लगाने पर विचार कर रहा है। इससे पाकिस्तान काफी बेचैन हो रहा है। 15 अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में तालिबानी शासन की शुरुआत होने पर जश्न मनाने वाला पाकिस्तान आज अपने पड़ोसी अफगानिस्तान की सरकार से परेशान है।

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