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रोते बच्चे को नेहरू जी ने चुप कराया

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बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
जवाहर लाल नेहरू को बच्चे बहुत पसंद थे। वह बच्चों के साथ मौका मिलते ही खेलने लगते थे। वह यह भूल जाते थे कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं या फिर वह देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। यही वजह है कि बच्चे उन्हें बड़े आदर और सम्मान के साथ चाचा नेहरू कहा करते थे। उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 में इलाहाबाद के आनंद भवन में हुआ था। उनके पिता मोती लाल नेहरू देश के ख्याति प्राप्त बैरिस्टरों में गिने जाते थे। बड़े होने पर नेहरू जी उच्च शिक्षा के लिए लंदन चले गए और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वहां से लौटकर कांग्रेस से जुड़ गए और धीरे-धीरे कांग्रेस के अग्रगण्य नेताओं में उनकी गिनती होने लगी। एक बार की बात है। प्रधानमंत्री आवास में वह कुछ सोचते हुए टहल रहे थे। तभी उनको एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। वह चौंक गए। उन्होंने देखा कि उनसे कुछ दूरी पर एक छोटा सा बच्चा बैठा रो रहा है। उन्होंने सोचा कि इस बच्चे की मां यहीं कहीं काम कर रही होगी। शायद माली के साथ वह काम कर रही हो। इतने में बच्चे ने और जोर-जोर से रोना शुरू कर दिया। कुछ सोचकर नेहरू जी उस बच्चे के पास गए। कुछ देर तक उसे चुप कराने का प्रयास किया, लेकिन जब सफलता नहीं मिली, तो उसे गोद में उठा लिया और थपकी देने लगे। इससे बच्चा चुप हो गया। थोड़ी देर बाद वह बच्चा नेहरू जी की गोद में बैठकर खेलने और हंसने लगा। थोड़ी देर बाद उस बच्चे की मां जब आई तो वह यह देखकर दंग रह गई कि उसका बच्चा नेहरू जी की गोद में खेल रहा है और नेहरू जी उसे देखकर मुस्कुरा रहे हैं।

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