संजय मग्गू
भारत और कनाडा के रिश्तों में दरार बढ़ती जा रही है। सोमवार को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बयान दिया है कि अलगाववादी नेता जगदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में बड़ी गलती की है। भारत ने ट्रूडो के बयान को गंभीरता से लिया है। भारत शुरू से ही निज्जर हत्याकांड में अपनी किसी भी तरह की भूमिका इनकार करता आ रहा है। लेकिन जस्टिन ट्रूडो हैं कि अपनी बात पर ही अड़े हुए हैं। असल में जस्टिन ट्रूडो अपने पिता पियरे ट्रूडो की ही तरह व्यवहार कर रहे हैं। सन 1985 में कनिष्क विमान को इंग्लैड के आसमान में विस्फोट करके उड़ा दिया गया था जिसमें 329 यात्री मारे गए थे। इस घटना में कनाडाई अलगाववादी सिखों का हाथ पाया गया था। लेकिन तत्कालीन कनाडाई प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो ने इन अलगाववादी सिखों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी। कनाडा का तब भी इन अलगाववादी सिखों के प्रति रवैया नरम था और आज तो इन अलगाववादियों की हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि वे खुलेआम भारतीय राजनयिकों को मारने की धमकी दे रहे हैं। पिछले तीन-चार दशक से सिख अलगाववादियों ने कनाडा में अपनी अच्छी खासी पकड़ बना ली है जिसका भारत सदैव विरोध करता रहा है। भारत में खत्म हो चुके खालिस्तानी आंदोलन को यदि कहीं खाद-पानी मिल रहा है, तो वह है फाइव आइज देशों में। फाइव आइज देशों में अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत के खिलाफ इन देशों में सक्रिय अलगाववादी संगठनों की कार्यशैली पर नजर दौड़ाएं, तो साफ जाहिर हो जाता है कि इन देशों में भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले संगठनों के प्रति नरमी बरती जाती है। अमेरिका ने भी अभी हाल में सिख फॉर जस्टिस जैसे आतंकी संगठन के मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के प्रयास मामले में हमारे देश के एनएसए चीफ अजित डोभाल सहित कई अधिकारियों को अमेरिकी कोर्ट में तलब किया गया है। दरअसल, इन सबके पीछे सिख वोटबैंक की राजनीति काम कर रही है। अगले महीने अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव होने वाला है। वहीं अगले साल नवंबर में कनाडा में चुनाव होने वाले हैं। इस बात को पूरी दुनिया जानती है कि फाइव आइज के साझेदार देशों में सिख वोटबैंक कितना मायने रखता है। इन पांच देशों में सिख आबादी जितनी है, उतनी पूरी दुनिया के बाकी देशों को मिलाकर भी नहीं होगी। ऐसी स्थिति में फाइव आइज देश अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर भारत विरोधी अभियान चलाने की एक तरह से छूट देते हैं। सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका दौरे से पहले ह्वाइट हाउस में सिख अलगाववादी संगठनों के नेताओं की बैठक हुई। इस बैठक में भारत के खिलाफ साजिश रचने वालों को पूरी तरह आश्वस्त किया गया कि उनके हितों का ध्यान रखा जाएगा। सिर्फ चुनावी राजनीति के चलते ही कनाडा और अमेरिका में यह वितंडा खड़ा किया जा रहा है ताकि सिख वोट हासिल किया जा सके।
संजय मग्गू