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Editorial: डिजिटल ठगी के खिलाफ कितना कारगर होगा ऑपरेशन चक्र-2

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देश रोज़ाना: साइबर ठगी से आज पूरा देश दुखी है। ये आफत हर किसी के दरवाजे पर दस्तक दे रही है। कहना गलत नहीं होगा कि देश का प्रत्येक चौथा इंसान किसी न किसी रूप में डिजीटल फ्रॉड का अब तक शिकार हो चुका है। आधुनिक तकनीकें जितनी सुविधाजनक होती हैं, उससे कहीं ज्यादा नुकसानदायक भी? बढ़ती तकनीकों का जितना सदुपयोग हो रहा है, उससे कहीं ज्यादा दुरुपयोग साइबर ठग कर रहे हैं जिसको लेकर केंद्र सरकार, राज्य सरकारें व तमाम खुफिया तंत्र भी हलकान हैं। हाल ही में साइबर ठगों ने बड़ा हाथ मारा है। कई लोगों को करोड़ों रुपयों का चूना लगाया। ये सभी लोग धनाढ्य हैं। साइबर ठगों पर अंकुश लगे, इसको ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने बढ़ते साइबर ठगों की कमर तोड़ने का जिम्मा सीबीआई को सौंपा है। सीबीआई ने पूरे देश में धड़-पकड़ के लिए ‘आॅपरेशन चक्र-2’ चलाया है। भारतीयों की साइबर सुरक्षा सुनिश्चित हो, इसके लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों की हुकूमतों को भी अलर्ट किया है। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की सभी सरकारी व निजी दूरभाष कंपनियों को भी आदेशित किया है कि वह भारत के सभी मोबाइल धारकों को उनके फोन पर संदेश भेजकर ‘साइबर सुरक्षा’ के प्रति जागरूकता करें।

‘आॅपरेशन चक्र-2’ के तहत सीबीआई ने साइबर अपराध से संबंधित फाइनेंशियल फ्रॉड में पांच अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं। बीते सप्ताह सीबीआई ने 10 राज्यों में 76 जगहों पर छापेमारी की हैं। कइयों की गिरफ्तारियां हुई हैं, अकूत धन भी बरामद किया है। गौरतलब है कि साइबर अपराधियों ने अब क्राइम का तरीका बदल लिया है। पहले छोटी-बड़ी धोखाधड़ी करते थे। अब बड़ा हाथ मारते हैं। हालांकि लोगों को डिजीटल ठगी से बचाने के लिए टेलीविजन, रेडियो, रील्स, मीम्स, मोबाइल एसएमएस आदि कई मीडिया माध्यमों के जरिए जागरूक भी किया जाता है, बावजूद इसके लोग फंसते हैं। वैसे, देखा जाए तो केंद्र सरकार ने अप्रत्यक्ष रूप से इशारा कर दिया है कि जागरूकता के बाद भी अगर कोई नहीं चेता? तो जिम्मेदारी उनकी स्वयं की होगी। वैसे, भारतीय जांच एजेंसियां भी ये मान चुकी हैं कि साइबर ठगों को पकड़ना बहुत मुश्किल है? इनके तार ज्यादातर विदेशों से जुड़े होते हैं। उनकी लोकेशन भी ट्रेस करना आसान नहीं होता। भारत में इनके एजेंट मात्र होते हैं। उन्हें पकड़कर भी कुछ हासिल नहीं होता।

बहरहाल, साइबर सुरक्षा का मुद्दा इस वक्त बहुत बड़ा बना हुआ है। जो हर ओर चर्चा का विषय बना हुआ है। केंद्र सरकार घिरी हुई है। सरकार के सभी प्रयास विफल हो रहे हैं। साइबर ठगी अब बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं रही? गांव-देहात व कस्बों तक जा पहुंची है। साइबर ठग पहले बाकायदा लोगों की रेकी करते हैं, सभी तथ्य अच्छे से सर्च करते हैं। फिर फर्जी सरकारी कर्मचारी बनकर डाटा जुटाते हैं। पता करते हैं कौन कहां-कहां और कितने धनी हैं।

हाल में डिजिटल ठगों ने क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी के माध्यम से भारत के विभिन्न शहरों के नागरिकों से कई करोड़ रुपये ठगे। केस को सीबीआई हैंडल कर रही है। फर्जी क्रिप्टो माइनिंग आॅपरेशन में लगातार भारतीय निशाना बन रहे हैं। ठग एमेजोन और बड़ी माइक्रोसाप्ट कंपनियां की आड़ लेते हैं। खुद को आॅनलाइन प्रौद्योगिकी संचालित ट्रेडिंग प्लेटफार्म और विभिन्न अंतर्राष्टÑीय व बहुराष्टÑीय आईटी प्रमुख होना प्रस्तुत करते हैं। उनके झांसे में बड़े बिजनेस मैंन, ब्योरोक्रेट, राजनेता आदि आते जा रहे हैं। हुकूमती स्तर पर साइबर ठगी से पिंड छुड़ाने के लिए खुफिया एजेंसी, लोकल इंटेलिजेंस, स्थानीय पुलिस-प्रशासन आदि को लगाया हुआ है। पर, सफलता उनके हाथ भी नहीं लगती। साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने में सिक्योर अवर वर्ल्ड साइबर सिक्योरिटी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसियां भी इस अभियान में जुटी हैं।
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)

– डॉ. रमेश ठाकुर

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