संजय मग्गू
किसान आंदोलन के संदर्भ में एक अच्छी बात यह हुई है कि केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत करने में रुचि दिखानी शुरू कर दी है। केंद्र सरकार की बातचीत के प्रति रुझान को देखते हुए किसान संगठनों के नेताओं ने इस बात पर संतोष जताना शुरू कर दिया है कि कम से कम हम बंद दरवाजे को खुलवाने में सफल रहे हैं। यह हमारी कोई बड़ी जीत नहीं है, लेकिन अब एक उम्मीद तो पैदा हुई है कि शायद बातचीत के आधार पर उनकी मांगें पूरी हो जाएं। भविष्य में उन्हें आंदोलन न करना पड़े। इसी उम्मीद को देखते हुए किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने भी मेडिकल ट्रीटमेंट लेना स्वीकार किया है। 19 जनवरी की आधी रात में उन्होंने यह स्वीकार किया कि वह ग्लूकोज की ड्रिप लगवाएंगे। हालांकि उन्होंने अनाज खाने से इनकार कर दिया है। डल्लेवाल की लगातार बिगड़ती सेहत को देखते हुए केंद्र सरकार ने कृषि एवं कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव प्रियरंजन के नेतृत्व में अधिकारियों का एक प्रतिनिधि मंडल खनौरी बार्डर पर भेजा था। खनौरी बार्डर पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने डल्लेवाल और किसान नेताओं को यह विश्वास दिलाने का प्रयास किया कि केंद्र सरकार उनकी मांगों और आमरण अनशन पर बैठे डल्लेवाल की सेहत को लेकर चिंतित है। केंद्र सरकार किसानों की सभी मांगों पर गंभीरता से विचार कर रही है। शुरुआत में बात बनी नहीं, लेकिन धीरे-धीरे बात आगे बढ़ी तो दो दिन पहले डल्लेवाल ने मेडिकल ट्रीटमेंट लेना स्वीकार किया। उनके साथ ही खनौरी बार्डर पर आमरण अनशन पर बैठे 121 किसानों ने भी अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल वापस ले ली जो डल्लेवाल के समर्थन में बैठे हुए थे। अब जब किसानों ने बंद दरवाजे को खोलने में सफलता प्राप्त कर ली है, तो उम्मीद की जानी चाहिए कि जल्दी ही इस मामले को सुलझा लिया जाएगा। किसान संगठन भी अपनी कुछ इस मामले में नरमी बरतेंगे, तो कुछ केंद्र सरकार भी झुकेगी। केंद्र सरकार ने बातचीत के लिए 14 फरवरी का दिन तय किया है। डल्लेवाल के भोजन ग्रहण न करने की बात को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यदि केंद्र सरकार वार्ता का समय जल्दी कर लेती, तो शायद ज्यादा अच्छा होता। यदि किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच सकारात्मक बातचीत होती है, तो डल्लेवाल भोजन ग्रहण करने की बात मान सकते हैं। उनका स्वास्थ्य पिछले 55 दिनों से कुछ भी ग्रहण न करने की वजह से काफी कमजोर हो चुका है। उनकी उम्र भी एक महत्वपूर्ण कारण है जिसकी वजह से बातचीत जल्दी कराने की मांग की जा रही है। उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रहे डॉक्टर का कहना है कि मेडिकल एड पर 14 फरवरी तक डल्लेवाल का जिंदा रह पाना मुश्किल है।
बातचीत के लिए बंद रहा दरवाजा खोलने में सफल हो गए किसान
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