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सुग्रीव ने सीता की खोज में इंडोनेशिया के यवद्वीप तक भेजा था दूत

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संजय मग्गू
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबोओ सुबिअंतो गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेकर अपने देश पहुंच चुके हैं। इस हमारे देश के गणतंत्र दिवस समारोह के वह मुख्य अतिथि थे। राष्ट्रपति भवन में सुबिअंतो के सम्मान में आयोजित रात्रिभोज में उन्होंने कहा कि मेरा डीएनए भारतीय है। कुछ हफ्ते पहले मैंने अपना जेनेटिक सिक्वेंसिंग टेस्ट और डीएनए टेस्ट कराया, जो भारतीय निकला। इंडोनेशियाई राष्ट्रपति सुबिअंतो यह कहकर भारत और इंडोनेशिया के प्राचीन काल से चले आ रहे संबंधों को बताना चाह रहे थे। अगर विश्व के नक्शे पर इंडोनेशिया की भौगोलिक स्थिति को देखा जाए, तो वहां पैदल मार्ग सेपहुंचा सकता है। समुद्र से यात्रा बहुत कम दूरी की करनी पड़ेगी। हालांकि अब इसके लिए कई देशों से वीजा लेना होगा, लेकिन प्राचीन काल में भारत के थाईलैंड, कंबोडिया, मलेशिया और इंडोनेशिया के साथ बहुत गहरे रिश्ते रहे हैं। इन देशों से भारत का व्यापारिक रिश्ता होने के साथ-साथ सांस्कृतिक रिश्ता भी बहुत गहरा रहा है। भारत के सबसे प्राचीन ग्रंथ रामायण में इंडोनेशिया के एक प्रमुख द्वीप यवद्वीप (जावा) का जिक्र आता है। यह भी कहा जाता है कि सीताहरण के बाद देवी सीता का पता लगाने के लिए सुग्रीव ने अपने दूत यवद्वीप तक भेजा था। इंडोनेशिया, कंबोडिया, थाईलैंड आदि देशों में महात्मा बुद्ध के बाद सांस्कृतिक आदान प्रदान शुरू हो गया था। यही वजह है कि इन देशों की सभ्यता और संस्कृति में बौद्ध और हिंदू धर्म का बहुत ज्यादा प्रभाव है। इन देशों के कुछ प्राचीन नगरों का नाम भी भारतीय जैसे ही हुआ करते थे। इंडोनेशिया में मुस्लिम बहुल आबादी होने के बावजूद वहां रामायण का मंचन होता है। इंडोनेशिया की भाषा में बहुत सारे शब्द संस्कृत भाषा के मिलते हैं। हिंदू और बौद्ध मंदिरों की इंडोनेशिया में भरमार है। बौद्ध और हिंदू दर्शन के प्रचार-प्रसार के लिए समय-समय पर भारत से दार्शनिक इन देशों की यात्राएं किया करते थे।भारत का इन देशों से व्यापारिक संबंध लगभग इन्हीं दिनों शुरू हुआ था। समुद्री मार्ग से भारतीय व्यापारी अपना माल  लेकर इंडोनेशिया और उसके आगे भी जाया करते थे। मौर्य शासक समुद्र गुप्त के समय में भारतीय व्यापारी अपनी नावों से बहुत दूर-दूर तक यात्रा किया करते थे। आज से हजार  साल पहले भी भारतीय राजाओं की नौसेना काफी मजबूत हुआ करती थी। इंडोनेशिया के श्रीविजय वंश के राजा विजयतुंग वर्मन के राज्य पर 1025 में चोल सम्राट राजेंद्र प्रथम ने हमला किया और उन्हें पराजित कर दिया। मजबूरन इंडोनेशिया के राजा विजयतुंग वर्मन को अपनी बेटी का विवाह राजेंद्र प्रथम से करने को मजबूर होना पड़ा। चोल सम्राट ने बहुत ही गुपचुप धावा बोला था। जाहिर सी बात है कि इस रास्ते में पड़ने वाले देशों को भी विजित किया होगा।भारतीय सभ्यता, संस्कृति और धर्म से पूरी दक्षिण एशिया सदियों से प्रभावित रही है। शायद यही जताना चाह रहे थे इंडोनेशियाई राष्ट्रपति सुबिअंतो।

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