Friday, January 17, 2025
10.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiमहिला उत्पीड़न के मामले में हर बार पुरुष ही दोषी नहीं होता

महिला उत्पीड़न के मामले में हर बार पुरुष ही दोषी नहीं होता

Google News
Google News

- Advertisement -

संजय मग्गू
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुग्राम निवासी महिला पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। महिला ने अपने पति पर कई तरह के झूठे आरोप लगाए थे। हाईकोर्ट में मामला पहुंचने के बाद महिला यह साबित नहीं कर पाई कि उसके पति और उसके परिजनों ने उसके साथ कोई बदसलूकी की, उत्पीड़न किया। महिला ने पति पर यौन शोषण के भी आरोप लगाए थे, लेकिन उसने किसी भी घटना के संबंध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया था। यहां तक कि महिला तारीख तक नहीं बता पाई थी। महिला ने कोर्ट में पति के खिलाफ आरोप तो लगाए ही, पति के रिश्तेदारों को भी इस मामले में घसीट लिया था। अब हाईकोर्ट ने मामले को खारिज करते हुए टिप्पणी की है कि ऐसे मामलों के चलते ही अदालतों पर बोझ बढ़ता है और सच्चे लोगों को न्याय मिलने में देरी होती है। ऐसा नहीं है कि हरियाणा या दूसरे राज्यों में महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा नहीं होती है। यौन उत्पीड़न नहीं होता है या फिर पति और उनके रिश्तेदार महिलाओं को प्रताड़ित नहीं करते हैं। लेकिन यह भी सच है कि कुछ महिलाओं ने महिलाओं को न्याय दिलाने और उन्हें उत्पीड़न से बचाने के लिए बनाए गए कानूनों का दुरुपयोग करती हैं। अदालत की चौखट पर पहुंचने वाले ज्यादातर मामले इसलिए खारिज हो जाते हैं क्योंकि वह गलत नीयत से दर्ज कराए जाते हैं। सबसे ज्यादा दुरुपयोग तो यौन उत्पीड़न रोकने के लिए बनाए गए कानून का हो रहा है। इतना ही नहीं, दहेज उत्पीड़न से जुड़े कानून का दुरुपयोग करने से महिलाएं पीछे नहीं हैं। कई घरों में यह भी देखने को मिलता है कि महिलाएं अपने पति और परिवार के अन्य सदस्यों को दहेज उत्पीड़न के मामले में फंसाने की धमकी तक देती हैं। इन दिनों एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला सुर्खियों में है। यह महिला से जुड़े कानूनों के दुरुपयोग का सबसे बेहतरीन उदाहरण है। अतुल सुभाष की पत्नी निकित सिंहानिया ने कई तरह के मुकदमे दर्ज कराकर अपने पति को परेशान कर रखा था। वह मामले के सेटलमेंट के नाम पर करोड़ों रुपये मांग रही थी। जिस महिला जज की अदालत में मुकदमा चल रहा था, उसने भी सेटलमेंट कराने के नाम पर लाखों रुपये की डिमांड की थी। बार-बार के फर्जी मुकदमों और ससुराल वालों के उत्पीड़न से तंग आकर सुभाष ने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या करने से पहले उसने अपनी सारी बातें वीडियो बनाकर लोगों से शेयर भी की। ऐसा नहीं है कि हर बार पुरुष ही दोषी हो। महिलाएं भी उनके हित में बनाए गए कानूनों का सहारा लेकर पुरुषों को परेशान करती हैं। ऐसी स्थिति में दूध का दूध और पानी का पानी करने की जिम्मेदारी न्याय व्यवस्था की होती है, जैसा कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने किया।

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

haryana news:मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत रेवाड़ी में 7 गांवों को मिलेगी मदद

मुख्यमंत्री ग्रामीण (haryana news:)आवास योजना के तहत गरीब और बेसहारा लोगों को आवास सुविधा प्रदान की जा रही है। रेवाड़ी जिले के सात गांवों...

Delhi Parade:17 से 21 जनवरी तक कर्तव्य पथ पर विशेष यातायात व्यवस्था

दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र (Delhi Parade:)दिवस परेड की रिहर्सल के मद्देनजर कर्तव्य पथ पर बिना किसी बाधा के यातायात संचालन सुनिश्चित करने के लिए...

अफ़गानिस्तान के साथ भारत के जुड़ाव और तालिबान

-प्रियंका सौरभतालिबान के साथ भारत का जुड़ाव क्षेत्रीय स्थिरता, आतंकवाद-रोधी और संपर्क जैसे राष्ट्रीय हितों को सहायता, शिक्षा और लैंगिक समानता जैसे मानवीय मूल्यों...

Recent Comments