संजय मग्गू
हमास और इजरायल के बीच युद्ध विराम समझौता हो गया है। यह समझौता 19 जनवरी से लागू होगा। यह समझौता कितने दिन लागू रहता है, यह एक अलग सवाल है। 8 अक्टूबर 2023 को जब हमास ने इजरायल पर हमला किया था, तब यह नहीं लगा था कि यह युद्ध इतने लंबे समय तक खिंच जाएगा। लगभग पंद्रह महीने से अधिक दिन तक चले इस युद्ध में दोनों पक्षों के लगभग पचास हजार सैनिक और नागरिक मारे गए हैं। एक लाख से अधिक लोग दोनों तरफ से किए गए हमलों में घायल हुए हैं। गाजा पट्टी और इजरायल के 19 लाख से अधिक लोगों को अपना घर-बार, कारोबार छोड़कर दर-दर भटकने के लिए मजबूर होना पड़ा। गाजा पट्टी और इजरायल में इस युद्ध के चलते अरबों रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई। दोनों तरफ के कारोबार ठप हो गए। स्कूल, कालेज और अस्पतालों को निशाना बनाने की वजह से वे नष्ट हो गए। पिछले पंद्रह महीने से दोनों तरफ के बच्चे इलाज और शिक्षा से वंचित थे, तो वहीं आम नागरिक चिकित्सा सेवा और रोजगार से वंचित थे। इस युद्ध के चलते किसी ने अपना बेटा खोया, तो किसी ने अपना पिता। किसी महिला का पति मारा गया, तो किसी का पूरा परिवार ही युद्ध की भेंट चढ़ गया। मिसाइलें और तोप के गोलों ने किसी के सपनों के घर को ध्वस्त कर दिया, तो किसी की कमाई का जरिया ही नष्ट हो गया। इस भीषण युद्धकाल में न जाने कितनी महिलाओं और बच्चियों के साथ बलात्कार हुए। उनके अंग-भंग कर दिए गए। उनके गुप्त अंगों को बुरी तरह क्षत विक्षत कर दिया गया। सब कुछ नष्ट हो जाने की वजह से न जाने कितनी महिलाओं और बच्चियों को अपना पेट भरने के लिए वेश्यावृत्ति करनी पड़ी और अब बिना किसी परिणाम के दोनों पक्षों ने सीजफायर डील पर हस्ताक्षर कर दिए हैं? ऐसे में सवाल यह है कि इस युद्ध से हासिल क्या हुआ? क्योंकि हजारों लोगों को मौत के मुंह में ढकेलने के बाद युद्ध विराम हो गया? आखिर किस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए 8 अक्टूबर 2023 को युद्ध शुरू हुआ था? क्या वह लक्ष्य हासिल हो गया? नहीं, जब पंद्रह महीने पहले युद्ध शुरू हुआ था, तब न कोई लक्ष्य था और आज जब दोनों पक्षों में सीजफायर हो गया है, तब न कोई लक्ष्य सामने आया है। सच कहा जाए, तो दोनों पक्षों के लोग एक सनक में पिछले पंद्रह महीनों से लड़ते रहे। हमास के शीर्ष नेतृत्व के सिर पर रक्त पिपासा सवार हुई और उन्होंने इजरायल पर हमला कर दिया। इजरायल के शासक ने भी इसी बहाने अपनी रक्त पिपासा शांत की। आज जब सीजफायर हो गया है, तो ईरान से लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, नवनिर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप से लेकर एक्सिस आफ रेजिस्टेंट ग्रुप तक सीजफायर का श्रेय लेने की होड़ में लग गए हैं। सभी अपनी पीठ ठोंक रहे हैं, जबकि सच यह है कि दोनों पक्षों की रक्तपिपासा शांत हो गई तो दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ हथियार रख दिए हैं। यह रक्त पिपासा कितने दिन शांत रहेगी, भगवान जाने।
हमास-इजरायल युद्ध से आखिर हासिल क्या हुआ?
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