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हरियाणा में कब बंद होगा जहरीली शराब का धंधा

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जहरीली शराब ने इस बार हरियाणा के कई परिवारों की दीपावली काली कर दी। जहरीली शराब पीने से पिछले दो दिन में ग्यारह लोगों की मौत हो गई जिसमें से नौ लोग यमुनानगर और दो लोग अंबाला के रहने वाले थे। पुलिस को जो कार्रवाई करनी है, वह कर रही है। लेकिन जहरीली शराब बेचने वालों के थोड़े से लालच ने कई परिवारों के जीवन में अंधेरा कर दिया। यह एक बड़ी त्रासदी है। यह कोई हरियाणा की ही बात नहीं है। पिछले दो साल के भीतर बिहार और गुजरात में सैकड़ों लोग जहरीली शराब पीकर असमय काल के गाल में समा चुके हैं।

इनका अपराध इतना था कि शराबबंदी वाले राज्य में उन्होंने अवैध शराब खरीदकर पी थी। जिन राज्यों में शराब बंदी नहीं है, वहां भी अवैध शराब धड़ल्ले से बिकती है। हरियाणा और पंजाब में तो वैध और अवैध दोनों तरह की शराब भारी मात्रा में खरीदी-बेची जाती है। शराब माफिया सरकार और सरकारी मशीनरी की आंख में धूल झोंककर जहरीली शराब बेचते रहते हैं, लोग पीकर मरते रहते हैं।

 कुछ दिन तक खूब हो हल्ला होता है और बाद में सब कुछ ठंडा पड़ जाता है। दो दिनों में हरियाणा में शराब पीने से हुई घटना कोई पहली घटना नहीं है। जब से हरियाणा पंजाब से अलग होकर नया प्रांत बना है,तब से जहरीली शराब का धंधा हो रहा है। हरियाणा जब पंजाब का हिस्सा था, तब भी यहां खूब धड़ल्ले से अवैध शराब बिकती थी। सन 1980 में जींद जिले में जहरीली शराब पीने से 40 लोगों की मौत हो गई थी। इतना ही नहीं, 1983 में भी सिरसा जिले में सौ लोगों की मौत हो गई थी। अभी कुछ साल पहले 2020 में सोनीपत और पानीपत में चार दिन के भीतर ही 31 लोगों को जहरीली शराब के चलते अपनी जान गंवानी पड़ी थी। ऐसा नहीं है कि इन मौतों को लेकर प्रदेश में कुछ नहीं हुआ था। सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक ने खूब बयानबाजी की थी। लोगों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन तक किए थे|

पिछले कई दशकों से यह चलन हो गया है कि जब भी ऐसी मौत होती है, तो लोग अपना आक्रोश व्यक्त करने के लिए आगे आते हैं। जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, उनका आक्रोश साबुन के झाग की तरह बैठता जाता है। दरअसल, सच तो यह है कि प्रदेश में शराब माफिया का गठजोड़ इतना ज्यादा शक्तिशाली है कि सरकार उसके खिलाफ कोई कड़ा कदम नहीं उठा पाती है। सरकार को जिस आबकारी विभाग, पुलिस आदि के भरोसे कार्रवाई करनी है, कई मामलों में इसी विभाग के कर्मचारी प्रश्रय देते नजर आते हैं। शराब माफिया और सरकारी अधिकारी-कर्मचारी एक दूसरे के साथ मिलकर पूरे प्रदेश में काम करते रहते हैं। दोनों एक दूसरे को लाभ पहुंचाते हैं और इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है।

लेखक: संजय मग्गू

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