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SC: शीर्ष कोर्ट में तत्काल सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख पर रोक

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भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस संजीव खन्ना ने मामलों की तत्काल सूचीबद्धता और सुनवाई के लिए मौखिक उल्लेख पर रोक लगाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस नए आदेश के अनुसार, अब वकीलों को तत्काल मामलों के उल्लेख के लिए ईमेल या लिखित आवेदन प्रस्तुत करना होगा, जिसमें उन्हें यह स्पष्ट करना होगा कि उनके मामले की त्वरित सुनवाई क्यों आवश्यक है। जस्टिस खन्ना ने मंगलवार को इस बदलाव की जानकारी देते हुए स्पष्ट किया कि मौखिक प्रस्तुतियां अब स्वीकार नहीं की जाएंगी।

इससे पहले, पूर्व सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ ने एक व्यवस्था शुरू की थी जिसमें वकील मौखिक रूप से अपने मामलों का उल्लेख कर सकते थे। हालांकि, इस व्यवस्था में न्यायालय के समय का एक बड़ा हिस्सा खर्च होता था, जिससे न्यायाधीशों का बहुमूल्य समय प्रभावित होता था। इस कारण से न्यायालय को किसी भी दिन आधे घंटे तक का समय केवल मौखिक उल्लेखों में व्यर्थ हो सकता था। इस प्रणाली में बड़े और वरिष्ठ वकीलों को अनौपचारिक रूप से लाभ भी मिल जाता था क्योंकि वे अपने महत्वपूर्ण मामलों की प्राथमिकता से सुनवाई करवा सकते थे।

सीजेआई खन्ना के इस निर्णय के बाद, कई वकीलों ने इस पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ वकीलों का मानना है कि यह कदम न्यायालय के समय की बचत करेगा और न्यायिक प्रक्रिया को अधिक संगठित बनाएगा। वे इस बदलाव को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखते हैं और इसे न्यायपालिका में सुधार का हिस्सा मानते हैं। दूसरी ओर, कुछ वकीलों का यह भी मानना है कि अत्यंत आवश्यक मामलों में मौखिक उल्लेख की सुविधा बने रहनी चाहिए ताकि अचानक उत्पन्न होने वाले आपात स्थितियों में शीघ्र सुनवाई का प्रावधान हो सके।

जस्टिस खन्ना ने इस फैसले को अपने नागरिकोन्मुख न्यायिक एजेंडे का हिस्सा बताते हुए कहा कि नागरिकों को बिना भेदभाव के न्याय तक पहुंच और समानता की सुविधा देना न्यायपालिका का संवैधानिक कर्तव्य है। सीजेआई खन्ना का मानना है कि इस बदलाव से अदालत की कार्यवाही को प्रभावी बनाया जा सकेगा और आम लोगों को न्याय तक आसान पहुंच मिलेगी। उन्होंने न्यायिक सुधारों की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि ये प्रयास न्यायपालिका को अधिक नागरिक-केन्द्रित बनाने के लिए किए जा रहे हैं।

इस बदलाव के तहत अब वकील अपनी मांगों को ईमेल या लिखित आवेदन के माध्यम से न्यायालय तक पहुंचाएंगे, जिसमें उन्हें बताना होगा कि उनका मामला क्यों तात्कालिक सुनवाई के लिए उपयुक्त है।

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