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भाजपा के सामने संकट, डैमेज कंट्रोल करे या बागियों को मनाएं

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भाजपा के सूची जारी करते ही जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में फूटा असंतोष का बुलबुला यह बताने को काफी है कि भाजपा को इस बार विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कई मोर्चे पर लड़ना होगा। जम्मू-कश्मीर में भाजपा की पहली सूची जारी होते ही बवाल मच गया था। लोग जम्मू पार्टी कार्यालय पहुंच गए और भारी हंगामा किया। भाजपा नेतृत्व ने किसी तरह जम्मू-कश्मीर का मामला शांत कराया, लेकिन हरियाणा में इसका मौका ही नहीं मिला। 67 लोगों की पहली सूची जारी होते ही टिकट नहीं मिलने से नाराज मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों, विधायकों और पूर्व विधायकों ने इस्तीफों की झड़ी लगा दी। यदि खबरों पर विश्वास करें, तो पूरे प्रदेश में छोटे से लेकर बड़े स्तर के लगभग ढाई सौ नेताओं ने पार्टी छोड़ने का फैसला किया है। इनमें से काफी लोग तो इस्तीफा देकर आजाद चुनाव लड़ने का ऐलान तक कर चुके हैं।

ऐसी बगावत और भगदड़ की कल्पना प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व ने नहीं की थी। जब तक डैमेज कंट्रोल की बात सोचते, काफी नुकसान हो चुका था। अब यदि इनमें से कुछ नेताओं को किसी तरह मना भी लिया गया, तो भी बात बनने वाली नहीं है। भाजपा की हालत देखकर अपनी सूची जारी करने जा रही कांग्रेस ने अपने कदम रोक लिए हैं। कहा जा रहा है कि अभी दो-तीन दिन सूची जारी करने में लगेगा। अभी कई स्तर पर मंथन किया जा रहा है। कांग्रेस को भी बगावत की आशंका है। भाजपा पहले से ही सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही थी। अब अपने ही नेताओं के विरोध और बगावत ने उसके सामने एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है।

वैसे 67 उम्मीदवारों की सूची जारी करते समय भाजपा ने सभी समुदायों और वर्गों को साधने की कोशिश की थी, लेकिन उसके चक्कर में वह परिवारवाद को भी प्रश्रय दे बैठी। छह सीटें भाजपा ने अपने नेताओं के परिजनों को दिए हैं। इनमें से तीन उम्मीदवार पूर्व मुख्यिमंत्रियों के परिवार के हैं। इतना ही नहीं, भाजपा ने तीसरी बार हरियाणा में अपनी सरकार बनाने के लिए कुछ नियमों का भी उल्लंघन किया है। अपने सिद्धांत के खिलाफ जाकर उसने 75 साल से अधिक उम्र वाले दो उम्मीदवारों को टिकट दिया है।

सबसे बड़ी आश्चर्य की बात तो यह है कि भाजपा ने दस बाहरी लोगों को टिकट दिया है जिसकी वजह से स्थानीय नेताओं और टिकट चाहने वालों ने बगावत कर दी है। जिन लोगों ने कई दशकों से पार्टी का झंडा उठाया, पार्टी को जन-जन तक पहुंचाने का काफी प्रयास किया और जब कुछ ओहदा मिलने का समय आया, तो उसके लिए दूसरे लोग आ गए। ऐसी स्थिति में कोई भी होता, उसे बुरा लगता ही। भाजपा ने तो सात प्रत्याशी ऐसे भी खड़े किए हैं जिन्हें पार्टी में आए एक सप्ताह भी नहीं हुआ था।

-संजय मग्गू

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