गौतम बुद्ध ने संसार को सत्य, अहिंसा, प्रेम, दयालुता, करुणा, सहानुभूति और परोपकार का पाठ पढ़ाया। वह आजीवन अहिंसा को लेकर लोगों को प्रेरित करते रहे। उनका जन्म कपिलवस्तु के पास लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व हुआ था। वह अपने समय के सबसे समर्थ राजा शुद्धोधन के पुत्र थे। कहा जाता है कि उन्होंने 29 साल की उम्र में ही घर का परित्याग करके संन्यास धारण कर लिया था। छह वर्ष तक उन्होंने एक वृक्ष के नीचे तपस्या की और बोधगया में बुद्धत्व प्राप्त किया। इतिहास बताता है कि उन्होंने अपने जीवन का पहला प्रवचन सारनाथ में दिया था।
एक बार परम भक्त भदंत आनंद ने महात्मा बुद्ध से सवाल किया, भंते! एक जिज्ञासा मेरे मन में है। जल, वायु, अग्नि आदि तत्वों में सबसे शक्तिशाली कौन सा है? इस पर बुद्ध ने कहा कि आनंद! पत्थर सबसे कठोर और शक्तिशाली दिखता है, लेकिन लोहे का हथौड़ा पड़ते ही पत्थर टुकड़े टुकड़े हो जाता है। लोहा पत्थर से अधिक शक्तिशाली है। लेकिन लोहार आग की भट्टी में लोहे को गला देता है।
उसे मनचाही शक्ल में ढाल देता है, इसलिए आग लोहे से अधिक शक्तिशाली है। मगर आग को जल शांत कर देता है। अत: जल पत्थर, लोहे, और अग्नि से अधिक शक्तिशाली है। लेकिन जल से भरे बादलों को वायु कहीं से कहीं उड़ाकर ले जाती है, इसलिए वायु, जल से भी अधिक बलशाली है। लेकिन हे आनंद! इच्छाशक्ति वायु की दिशा को भी मोड़ सकती है। इसलिए सबसे अधिक शक्तिशाली है व्यक्ति की इच्छाशक्ति। इच्छाशक्ति से अधिक बलशाली कोई नहीं है, यदि किसी काम को अपनी इच्छा से किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है। यह सुनकर आनंद चुप रह गए।
-अशोक मिश्र