गुजरात के साबरकांठा और अरावली जिलों में चांदीपुरा नामक वायरस (Chandipura Virus: ) बच्चों पर कहर बनकर टूट रहा है। चांदीपुरा वायरस को मिस्ट्री वायरस के नाम से भी जाना जाता है। गुजरात के चार जिलों में चांदीपुरा वायरस के कई मामले सामने आ चुके हैं। साबरकांडा के हिम्मत नगर अस्पताल में चांदीपुरा वायरस के 8 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि इलाज के दौरान पांच बच्चों की मौतें हुई हैं। इसके अलावा अरावली जिले में चांदीपुरा वायरस के तीन मामले सामने आए हैं, जिनमें से दो की मौत हो गई है और एक मरीज का इलाज चल रहा है। बारिश के मौसम में यह वायरस तेजी से फैलता है। आइए जानते हैं कि ये चांदीपुरा वायरस क्या है और यह कितना घातक है।
Chandipura Virus: वायरस के लक्षण
मरीज में बुखार, उल्टी, दस्त और मिर्गी का दौरा पड़ने के लक्षण मिले हैं। डाक्टरों का कहना है कि चांदीपुर वायरस के लक्षण इंसेफेलाइटिस की तरह होते हैं। बुखार, उल्टी, दस्त, सिरदर्द और मिर्गी के अलावा पीड़ितों में अन्य न्यूरोलॉजिकल डिसओडर्स देखे गए हैं। कई मामलों में दिमाग में सूजन का आना, मरीज की मौत का कारण बनता है।
Chandipura Virus:क्या है ये चांदीपुरा वायरस
चांदीपुरा वायरस से बुखार होता है, जिसके लक्षण फ्लू या इंसेफेलाइटिस जैसे होते हैं। पीड़ित मरीज के दिमाग में सूजन आना उसके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। यह वायरस मच्छरों, मक्खियों और कीट के जरिए फैलता है। यह बीमारी वेक्टर से संक्रमित सैंडफ्लाई के डंक से होती है। यह एक तरह का इन्सेक्ट है। गांवों में सबसे ज्यादा चांदीपुरा वायरस के केस देखने को मिलते हैं।
कैसे पड़ा चांदीपुरा नाम
वायरस का नाम महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव के नाम पर है। पहली बार 1965 में इस वायरस से बीमार बच्चे का मामला सामने आया था। उस समय 15 साल तक के कई बच्चों की इस वायरस से मौत हुई थी. तब पूरे चांदीपुरा गांव में इस रहस्यमयी बीमारी को लेकर लोगों में जबरदस्त खौफ था।
बचाव कैसे करें
यह वायरस मानसून में काफी सक्रीय होता है। इसलिए आपको कहीं भी बारिश का पानी जमा नहीं होने देना है। क्योंकि जमे हुए पानी में मच्छर पनपते हैं। बच्चों को पूरे बाजू के कपड़े पहनाएं। साथ ही किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं।