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Congress Kharge: खरगे ने कहा, मनरेगा का बजट घटाना ग्रामीण भारत से धोखा

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे(Congress Kharge: ) ने केंद्र सरकार पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि मनरेगा की वर्तमान स्थिति ग्रामीण भारत के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासघात का जीता जागता स्मारक है। खरगे ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने प्रौद्योगिकी और आधार का उपयोग करते हुए सात करोड़ से अधिक श्रमिकों के जॉब कार्ड हटा दिए हैं, जिससे ये परिवार मनरेगा के लाभ से वंचित हो गए हैं।

Congress Kharge: 2005 में मनरेगा लागू किया गया

खरगे ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट करते हुए याद दिलाया कि 2005 में कांग्रेस-संप्रग सरकार ने ग्रामीण भारत के करोड़ों लोगों के लिए काम का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए मनरेगा लागू किया था। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 13.3 करोड़ सक्रिय श्रमिक, कम मजदूरी, बेहद कम कार्य दिवस और जॉब कार्ड हटाए जाने जैसी समस्याओं के बावजूद मनरेगा पर निर्भर हैं। उन्होंने मोदी सरकार पर मनरेगा के बजट आबंटन में भारी कटौती का आरोप लगाते हुए कहा कि इस वर्ष मनरेगा के लिए कुल बजटीय आबंटन का केवल 1.78 प्रतिशत रखा गया है, जो पिछले 10 वर्षों में सबसे निचले स्तर पर है। खरगे के अनुसार, सरकार की यह नीति मनरेगा के तहत काम की मांग को दबाने का एक प्रयास है। उन्होंने आर्थिक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ने पहले ही यह आधार तैयार कर लिया है कि मनरेगा की मांग जरूरी नहीं कि ग्रामीण संकट से संबंधित हो।

मनरेगा के तहत दी जाने वाली दैनिक मजदूरी अपर्याप्तः खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष ने हाल ही में संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है कि मनरेगा के तहत दी जाने वाली दैनिक मजदूरी अपर्याप्त है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि 2014 के बाद से उत्तर प्रदेश में दैनिक मजदूरी दर प्रति वर्ष केवल चार प्रतिशत बढ़ी है, जबकि मुद्रास्फीति इससे कहीं अधिक रही है। खरगे ने जोर देकर कहा कि ग्रामीण मुद्रास्फीति लगातार 13 महीनों से शहरी मुद्रास्फीति से अधिक है, लेकिन इसके बावजूद मोदी सरकार की ग्रामीण गरीबों के प्रति उदासीनता बनी हुई है। उन्होंने कहा कि मनरेगा की वर्तमान स्थिति प्रधानमंत्री मोदी के ग्रामीण भारत के प्रति विश्वासघात का प्रतीक है, जो कांग्रेस की असफलताओं का जीता जागता स्मारक बताने वाले प्रधानमंत्री के अपने शब्दों के उलट है।

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