कांग्रेस ने शनिवार को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधवी बुच(Congress SEBI chief: ) के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें बुच पर निवेश कंपनी से जुड़े हितों के टकराव का आरोप लगाया गया है। यह आरोप अमेरिकी संस्था हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अपनी रिपोर्ट में लगाए गए, जिसमें दावा किया गया था कि सेबी प्रमुख बुच और उनके पति की कथित रूप से अदाणी समूह द्वारा धन हेराफेरी में इस्तेमाल किए गए विदेशी फंड में हिस्सेदारी थी।
Congress SEBI chief: ‘बुच को अपने पद पर बने रहना उचित नहीं‘
रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कहा कि सेबी प्रमुख के हितों के टकराव ने अदाणी समूह द्वारा प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर हुई सेबी की जांच को कमजोर कर दिया है। उन्होंने कहा कि इतने गंभीर आरोपों के बाद बुच का अपने पद पर बने रहना न तो नैतिक रूप से उचित है और न ही स्वीकार्य।
जेपीसी से जांच की मांग
रमेश ने स्पष्ट किया कि अदाणी समूह पर लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अदाणी ‘महाघोटाले’ की पूरी जांच केवल जेपीसी के माध्यम से ही होनी चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके और जनता का विश्वास बहाल हो सके।
सेबी प्रमुख ने आरोप को बताया निराधार
उधर, सेबी प्रमुख माधवी बुच और उनके पति ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने एक संयुक्त बयान में कहा कि ये आरोप पूरी तरह से निराधार और बेबुनियाद हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका या उनके पति का अदाणी समूह के कथित धन हेराफेरी घोटाले में किसी भी प्रकार का संबंध नहीं है।कांग्रेस ने इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे सेबी की जांच पर सवाल उठाने का आधार बताया और जोर देकर कहा कि सेबी प्रमुख के पद से हटने के बाद ही निष्पक्ष जांच संभव हो सकेगी। पार्टी ने अदाणी समूह के खिलाफ लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए जल्द से जल्द जेपीसी के गठन की मांग की।