अगर आत्मविश्वास कायम रहे, तो बड़ी से बड़ी मुसीबत का सामना किया जा सकता है। आत्म विश्वास के बल पर ही कई सेनापतियों ने कम सैनिकों के होते हुए भी दुश्मन की बड़ी सेना के छक्के छुड़ा दिए हैं। संकट के समय आत्मविश्वास ही है, जो काम आता है। झारखंड के दशरथ मांझी ने आत्मविश्वास के बल पर ही पहाड़ को काटकर रास्ता बना दिया था क्योंकि उनकी पत्नी को पानी लेने के लिए पहाड़ घूमकर जाना पड़ता था। पहाड़ काटकर रास्ता बनाने से जल स्रोत से उनके घर की दूरी आधी से भी कम रह गई थी। आत्म विश्वास को लेकर एक मजेदार किस्सा सुनाया जाता है।
एक बार की बात है। एक शेर कई दिनों से भूखा था। उसे शिकार नहीं मिला था। तभी उसे एक लोमड़ी दिखाई दी। लोमड़ी समझ गई कि शेर उस पर झपटने वाला है। शेर उस पर झपटता, इससे पहले लोमड़ी गरज उठी-खबरदार! तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझ पर झपटने की। शेर उसकी गरजती आवाज सुनकर ठिठक गया। वह चकित रह गया कि आज लोमड़ी जैसी जानवर उसको फटकार रही है। उसने कहा, क्या मतलब है तुम्हारा?
लोमड़ी ने रोषपूर्वक कहा कि ऊपर वाले ने मुझे जंगल पर शासन करने को भेजा है और तुम मुझे मारकर खाने की सोच रहे हो। यह सुनकर शेर का आत्मविश्वास डगमगा गया। उसने कहा कि मैं कैसे मान लूं। आत्मविश्वास से भरपूर लोमड़ी ने कहा कि मैं आगे-आगे चलती हूं, तुम पीछे चलो। देखो, जंगल सारे पशु डरते हैं कि नहीं। कुछ दूर जाने पर जानवर भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगे। शेर ने समझा कि जानवर लोमड़ी को देखकर भाग रहे हैं, लेकिन हकीकत में जानवर शेर को देखकर भाग रहे थे। यह देखकर शेर भाग खड़ा हुआ।
-अशोक मिश्र