भाजपा और कांग्रेस में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं है। दोनों दलों ने अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं किया है। दोनों पार्टियों में असंतोष देखने को मिल रहा है। भाजपा और कांग्रेस में टिकट चाहने वाले पिछले काफी दिनों से एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। ऐसी आशंका भी जाहिर की जा रही है कि यदि इन लोगों को टिकट नहीं मिला, तो कुछ लोग पार्टी से बगावत भी कर सकते हैं। यही वजह है कि भाजपा की 55 सीटों की सूची तैयार होने के बावजूद घोषित नहीं की गई। राजनीतिक हलकों में तो इस बात की भी चर्चा है कि आज जींद में होने वाली रैली में भीड़ कम और टिकट चाहने वालों की उठापटक की आशंका को देखते हुए ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपना दौरा रद्द कर दिया है।
पहले यह रणनीति बनाई गई थी कि जींद की रैली के बाद ही उम्मीदवारों की सूची जारी की जाए, ताकि रैली को सफल बनाया जा सके और अपने विरोधी दलों को अपनी ताकत का एहसास कराया जा सके। सफल रैली से मतदाताओं पर भी एक प्रभाव पड़ता, लेकिन जब मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के बीच सैनी के चुनाव क्षेत्र के मुद्दे पर मतभेद सामने आए, तो केंद्रीय मंत्री ने रैली में न आना भी उचित समझा। अनुशासित मानी जाने वाली भाजपा में टिकट बंटवारे को लेकर पैदा हुआ असंतोष जग जाहिर हो गया है। कैप्टन अभिमन्यु, राम कुमार गौतम और सुनीता दुग्गल को जिन विधानसभा चुनावों के लिए टिकट दिए जाने की चर्चा है, उस क्षेत्र के पार्टी सदस्यों ने विरोध करना शुरू कर दिया।
उन्होंने अपने विरोध को दबाया नहीं, बल्कि प्रदेश और राष्ट्रीय नेताओं के सामने जाहिर भी कर दिया। ठीक ऐसा ही हाल कांग्रेस का है। कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया और प्रदेश अध्यक्ष उदयभान कई बार कह चुके हैं कि प्रत्याशियों का टिकट मेरिट आधार पर तय किया जाएगा। लेकिन इस मेरिट वाले फार्मूले के सामने सबसे बड़ा रोड़ा कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और कैप्टन अजय यादव बने हुए हैं। माकन कमेटी के सामने अपने-अपने समर्थकों को ही टिकट देने का दबाव कई बार बना चुके हैं। कांग्रेस हाईकमान तक यह बात पहुंचाई जा चुकी है।
कुमारी सैलजा को खुद को मुख्यमंत्री का दावेदार संकेतों में घोषित कर चुकी हैं। उधर, भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने को सीएम पद का दावेदान मान रहे हैं। अभी जब प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं हुई है, तो भाजपा और कांग्रेस के भीतर चल रही उठापटक की खबरें बाहर आ रही हैं। जैसे ही कांग्रेस और भाजपा की सूची जारी होगी, एक बड़े पैमाने पर इन दोनों राजनीतिक दलों में असंतोष देखने को मिल सकता है। इससे होने वाले डैमेज को कंट्रोल करने में भाजपा और कांग्रेस हाईकमान लगा हुआ है। संभावित बागियों को मानने और अपने पाले में रखने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
-संजय मग्गू