लेव निकोलायेविच तोलस्तोय को दुनिया के महान लेखकों में माना जाता है। वह मास्को को एक धनी परिवार में पैदा हुए थे। घर-परिवार में सब कुछ होते हुए भी उनके मन में शांति नहीं थी। मानसिक शांति के लिए वह जीवन भर भटकते रहे। उन्होंने क्रीमियाई युद्ध (1855) में भी भाग लिया था, लेकिन बाद में उन्होंने सेना की नौकरी छोड़ दी। उनका उपन्यास शांति और युद्ध और करेनिना रूसी साहित्य की अमोल धरोहर है। पूरी दुनिया में तोलस्तोय का उपन्यास आज भी पढ़ा जाता है। एक बार की बात है। तोलस्तोय सामान्य दिनों की अपेक्षा कुछ जल्दी चर्च पहुंच गए।
उस समय चर्च में कोई नहीं था। वह अंदर गए तो एक व्यक्ति ईसा मसीह की मूर्ति के सामने खड़ा होकर कह रहा था कि हे प्रभु! मैंने जीवन में बहुत सारे पाप किए हैं। मुझे उन पापों के लिए क्षमा कर देना। मैं अपने जीवन में किए गए पापों के लिए आपसे सच्चे मन से माफी मांगता हूं। तभी उस व्यक्ति की निगाह तोलस्तोय पर पड़ी। वह व्यक्ति जब तोलस्तोय के नजदीक आया, तो उन्होंने देखा कि अपने पापों की क्षमा मांगने वाला व्यक्ति नगर का सबसे बड़ा व्यापारी है। उसने तोलस्तोय से पूछा कि तुमने क्या सुना?
तोलस्तोय ने कहा कि मैंने सब कुछ सुना है। इस पर वह व्यक्ति बोला कि यदि तुमने यह बात किसी को बताई तो बहुत बुरा होगा। मैंने जो कुछ कहा है वह मेरे और ईश्वर के बीच की बात है। तब तोलस्तोय बोले कि इसका मतलब तुम ईश्वर को बेवकूफ बना रहे थे। जो व्यक्ति सच्चे हृदय से माफी मांगता है, वह दुनिया को अपने पापों को बताता है, ताकि उसमें सुधार आए। तुम अपने पापों को गुप्त रखना चाहते हो। यह सुनकर उस व्यापारी को अपनी गलती का एहसास हुआ और चुपचाप घर चला गया।
-अशोक मिश्र