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दर्जनों गांवों में बाढ़ की त्रासदी झेलने को मजबूर लोग

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हिमाचल और हरियाणा में भारी बारिश के चलते यमुनानगर के मलिकपुर बांगर में सोम नदी का तटबंध टूट गया। नतीजा यह हुआ कि छछरौली खंड के दर्जनों गांवों में बाढ़ आ गई। लोगों के घरों में पानी भर जाने से काफी नुकसान हुआ। लोगों को भागकर अपने घर की छतों पर शरण लेनी पड़ी। कई गांवों के लोगों ने अपने घर का सामान और पशुओं को बचाने के लिए पलायन करना शुरू कर दिया है। पानी भरा होने के कारण पुराने मकानों के गिरने का खतरा भी पैदा हो गया है। बाढ़ के पानी के तेज बहाव के चलते कई सड़कें या तो धंस गई या फिर पानी ने उनको काट दिया। इससे लोगों को आने जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

तटबंध टूटने की वजह से सैकड़ों एकड़ फसल डूब गई है। काफी मात्रा में फसलें बरबाद हो गई हैं। हथिनीकुंड बैराज में यमुना का जलस्तर काफी तेजी से बढ़ रहा है, इसकी वजह से लोग घबराए हुए हैं। करनाल में घरौंडा क्षेत्र में आवर्धन नहर में कटाव के चलते आसपास के गांवों में दहशत फैल गई। यह तो गनीमत रही कि सिंचाई विभाग ने इस दौरान पानी नहीं छोड़ा। यह स्थिति प्रदेश के कई जिलों में है। बरसाती पानी खेतों में जमा हो जाने से फसलों को काफी नुकसान हुआ है। दरअसल, पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में हो रही भारी बारिश की वजह से लगभग सभी जिलों के लोगों को परेशानी से जूझना पड़ रहा है।

रविवार को ही भारी बारिश के चलते गुरुग्राम में हालत काफी बदतर रहे। सड़कों पर पानी भर जाने की वजह से वाहन रेंगते रहे। सड़कों पर बीस किमी लंबा जाम लगा रहा। लोग समय पर अपने आफिस और आफिस से घर नहीं पहुंच पाए। फरीदाबाद, पलवल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर जैसे कई शहरों में थोड़ी सी बरसात होने पर जलभराव के चलते लोगों का जीवन दुश्वार हो जाता है। जलभराव के चलते हादसों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। वैसे तो अभी तक प्रदेश में किसी बड़े हादसे की कोई सूचना नहीं है। शहरों में नालियों की सफाई समय पर न होने से जलभराव से पैदा होने वाली समस्याओं से ही लोग जूझ रहे हैं।

पिछले साल तो बरसात और बाढ़ ने प्रदेश के 12 जिलों में काफी तबाही मचाई थी। एक अनुमान है कि पांच सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की फसलें बरबाद हो गई थीं। कुछ लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी थी। हालात इतने खराब हो गए थे कि प्रदेश सरकार को लोगों को पानी और खाना तक मुहैया कराना पड़ा था। दूरदराज के इलाकों में फंसे लोगों तक तो सरकारी मदद नहीं पहुंच पाई थी। हालांकि यह भी सही है कि बाढ़ से जो फसल बरबाद हुई थी, उसका मुआवजा भी सरकार ने दिया था। हां, नुकसान के मुकाबले मुआवजा बहुत कम था, यह भी सही है। यदि बरसात का मौसम आने से पहले नहरों, नालियों की सफाई हो जाए, तो शायद जलभराव की समस्या से निपटा जा सकता है।

-संजय मग्गू

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