कांग्रेस ने संभल (up sambhal:)में हिंसा को लेकर पार्टी नेताओं को पुलिस द्वारा रोके जाने को सोमवार को अलोकतांत्रिक कृत्य करार दिया। कांग्रेस के नगर अध्यक्ष तौकीर अहमद ने संवाददाताओं से कहा, “आज, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल को संभल भेजा जाना था, लेकिन पुलिस हर किसी को वहां जाने से रोक रही है।” उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने 30 नवंबर तक संभल जाने पर रोक लगा रखी थी, लेकिन कांग्रेस ने 2 दिसंबर को वहां जाने का निर्णय लिया था। अब पुलिस प्रशासन द्वारा रोकने की कार्रवाई को उन्होंने लोकतंत्र के खिलाफ बताया।
अहमद (up sambhal:)ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार और संभल जिला प्रशासन हिंसा को रोकने में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं। वहीं, लखनऊ के मॉल एवेन्यू इलाके में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश कार्यालय के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया और अवरोधक लगाए गए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय और अन्य नेताओं को संभल जाने का प्रयास करते हुए देखा गया।
विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्र ने कहा, “संभल की घटना सामान्य नहीं थी, यह एक बड़ी घटना है। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख अजय राय के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल तथ्यों का पता लगाने के लिए वहां जाना चाहता था, लेकिन उन्हें नजरबंद कर दिया गया।” मिश्र ने आरोप लगाया कि यह सरकार की अराजकता को दर्शाता है और सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए धारा 163 का इस्तेमाल कर रही है।
कांग्रेस(up sambhal:) प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने बताया कि अवरोधक कल रात से ही लगाए गए थे। अजय राय ने कहा कि उनकी पार्टी ने 2 दिसंबर को संभल जाने का निर्णय लिया था, लेकिन अब सरकार ने अचानक रोक को 10 दिसंबर तक बढ़ा दिया है। राय ने चेतावनी दी कि यदि उन्हें रोका गया, तो वे गांधीवादी तरीके से शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करेंगे।
संभल से सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क सहित कई सपा सांसदों और विधायकों को भी 30 नवंबर को हिंसा प्रभावित संभल जाने से रोका गया था। जिला प्रशासन ने शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक को 10 दिसंबर तक बढ़ा दिया। यह हिंसा 24 नवंबर को शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान भड़की थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।