दिल्ली, हरियाणा और हिमाचल के बीच पैदा हुआ टकराव खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। दिल्ली सरकार का आरोप है कि हरियाणा उसके हिस्से का पूरा पानी नहीं छोड़ रहा है। वहीं, हरियाणा का दावा है कि उसने दिल्ली के हिस्से का पानी कतई नहीं रोका है। हरियाणा ने हिमाचल प्रदेश से कहा है कि सुप्रीमकोर्ट द्वारा तय किया गया पानी हिमाचल ने नहीं छोड़ा है। वहीं हिमाचल का दावा है कि उसके यहां नदी पर कोई बांध ही नहीं है। ऐसी स्थिति में कहीं पर पानी रोक रखने का सवाल ही नहीं उठता है। दरअसल, पिछले काफी दिनों से दिल्ली की जनता पानी के लिए त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रही है। दिल्ली में भवन निर्माण सहित उन सभी कार्यों पर रोक लगा दी गई है जिसमें बड़े पैमाने पर पानी का उपयोग होता हो। हां, जीवन के लिए अनिवार्य माने जाने वाले कामों को इससे छूट दी गई है।
इस जलसंकट से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने सुप्रीमकोर्ट से गुहार लगाई थी। सुप्रीमकोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि अतिरिक्त पानी दिल्ली को दिया जाए। हरियाणा का दावा है कि वह दिल्ली के लिए 1050 क्यूसेक पानी लगातार छोड़ रहा है, लेकिन यह भी सच है कि दिल्ली के लिए छोड़ा गया पानी पूरा नहीं मिल रहा है। हरियाणा सरकार का कहना है कि उनके यहां छोड़े गए पानी में से कुछ हिस्सा मूनक नहर से बरबाद हो रहा है। हरियाणा सरकार का कहना है कि मूनक नहर से दिल्ली तक नहर का रखरखाव ठीक नहीं है। इसकी वजह से हरियाणा द्वारा छोड़े गए पानी का एक हिस्सा बरबाद हो रहा है। यही वजह है कि दिल्ली को पूरा पानी नहीं मिल रहा है।
दिल्ली और हरियाणा के बीच हुए समझौते के तहत दिल्ली को 719 क्यूसेक पानी दिया जाता रहा है। जब दिल्ली ने पानी की कमी का रोना रोते हुए सुप्रीमकोर्ट में गुहार लगाई थी, तो कोर्ट ने वजीराबाद पौंड के स्तर को 674.8 फीट रखने के आदेश दिए थे। इसके चलते हरियाणा को दिल्ली के लिए 1050 क्यूसेक पानी छोड़ना पड़ रहा है। अब अगर मूनक नहर की ठीक से साफ-सफाई और रखरखाव दिल्ली सरकार ने नहीं किया, तो इसमें किसका दोष है?
उधर हिमाचल ने सुप्रीमकोर्ट में शपथपत्र दाखिल करके कहा है कि उसने दिल्ली को दिया जाने वाला पानी नहीं रोका है। हिमाचल सरकार दिल्ली के साथ किए गए समझौते के अनुसार पानी देने के लिए प्रतिबद्ध है। दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2019 में समझौता हुआ था जिसके मुताबिक दिल्ली को 137 क्यूसेक पानी अतिरिक्त दिया जा रहा है। वैसे होना तो यह चाहिए कि दिल्ली, हरियाणा और हिमाचल आपस में बैठकर इस मामले को सुलझा लेते। पानी की जरूरत इन दिनों सबको है। अपनी-अपनी जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी हर सरकार की है।
-संजय मग्गू