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कांग्रेस की सियासत का बदलता रसायन

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एक यक्ष प्रश्न ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। क्या कांग्रेस बदल रही है। अथवा बदल गई है। वो नये सियासी लिबास में है। क्यों कि कर्नाटक में चप्पे-चप्पे में संघ होने के बावजूद बीजेपी हार गई। अब पूरी की पूरी कांग्रेस पार्टी चुनाव के वास्ते, हिन्दुत्व के रास्ते पर चल पड़ी। महाकौशल में बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा और दिखने लगी चौराहे पर हनुमान की गदा। अपने आप को बजरंगबली का भक्त बताने की होड़ मची है। कांग्रेस साफ्ट हिन्दुत्व कार्ड लेकर चल रही है। धर्म और उत्सव प्रकोष्ठ के जरिए सुन्दर कांड। कांग्रेस की नई सियासी रणनीति ने भाजपा को दुविधा में डाल दिया है। जबलपुर में नर्मदा आरती के साथ प्रियंका गाँधी ने चुनावी शंखनाद किया। महाकौशल की धरती पर शिवराज की सबसे बड़ी चुनावी योजना लाड़ली बहना के कार्यक्रम में केन्द्र का कोई भी बड़ा नेता नहीं आया।

सब सियासी खेल है। बीजेपी के लिए संक्रमणकाल है हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक चुनाव की हार। किसी को कुछ सूझ नहीं रहा है। खामोश हैं, पर खामोशी नहीं है। शांत है, मगर सब कुछ अशांत। सन्नाटा है, मगर आहट भी है। नरेन्द्र मोदी को किंग आफ बीजेपी कहने वाले चुप हैं। संघ ने कह दिया है कि मोदी और हिन्दुत्व कार्ड ही काफी नहीं है। अंदर खाने में शह और मात का खेल चल रहा है। संघ पहले भी था। पर इतना मुखर नहीं। संघ और भाजपा में खेमेबाजी से पार्टी बीमार हो गयी है। दो भाजपा और दो संघ। एक संघी भाजपा, एक असंघी भाजपा।

खंड-खंड भाजपा और संघ। टकराव स्वाभाविक है। वही हो रहा है। बीजेपी के अन्दर विरोध का तम्बूरा वादन हो रहा है। कैलाश विजय वर्गीय, नरेन्द्र सिंह तोमर, नरोत्तम मिश्रा और ज्योतिरादित्य सिंधिया की नजर प्रदेश की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। इस बीच बीजेपी हाईकमान शिवराज को रिप्लेस करना चाहता था। लेकिन कर्नाटक चुनाव की हार के बाद अपनी रणनीति पर चुप्पी साध ली। संघ की बातें और सलाह ने हाई कमान का ध्यान अपनी ओर खींचा है। स्थानीय नेताओं को चुनाव में तरजीह देना और स्थानीय मुद्दे के दम पर चुनाव लड़ना है। बहरहाल एंटीइन्कमबैसी की वजह से बीजेपी बीमार है।

आज भाजपा दावा नहीं कर सकती कि वह दूसरों से अलग है। कांग्रेस एक कल्चर है। लेकिन अब गेरूआई राजनीति ओढ़ ली है। कांग्रेस और भाजपा नई संस्कृति में ढल रही हैं। नए चेहरे और नया खाका है। भाजपा का कांग्रेसीकरण और कांग्रेस का भाजपाईकरण हो गया है। भ्रष्ट दोनों हैं। होड़ मची है बताने में कौन कितना भ्रष्ट है। कर्नाटक में एसआर बोम्बई की सरकार को कांग्रेस ने चालीस फीसदी कमीशन वाली सरकार के रूप में प्रचारित किया था। उसी तर्ज पर प्रियंका गांधी ने शिवराज सरकार को भी घोटाले की सरकार बताया। दो सौ बीस महीने की सरकार में 232 घोटाले हुए। राशन घोटाला, व्यापम घोटाला, खनन घोटाला, शिक्षक पात्र भर्ती घोटाला, बिजली विभाग घोटाला, पुलिस भर्ती घोटाला, ईटेंडर घोटाला,टीवी सेट घोटाला, कोरोना घोटाला। घोटालों की ये लिस्ट इतनी लंबी है कि जो मोदी ने गालियों वाली लिस्ट गिनाई थी, ये तो उससे भी बड़ी है। इन्होंने नर्मदा मैया को भी नहीं छोड़ा।

खनन कराते जा रहे हैं। इस सरकार ने महाकाल को भी नहीं छोड़ा। वहां हवा में मूर्तियां उखड़कर गिर गईं। एक पुजारी ने मुझे वीडियो भेजा। वह कह रहे थे कि हवा से मूर्तियां उड़ रही हैं। ये कैसी सरकार है। प्रदेश में रिश्वतराज चलाया जा रहा है। कांग्रेस की नजर में शिवराज सरकार का रिपोर्ट कार्ड अच्छा नहीं है।

बीजेपी हाई कमान शिवराज को लेकर दुविधा में है। इसलिए भगवा पंडाल में खामोशी पसरी हुई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं, लाड़ली बहना जन कल्याणकारी योजना है। दिग्विजय सिंह कहते हैं, शिवराज को पिछले बीस साल में बहना क्यों याद नहीं आई। कई लोग कहते हैं, केजरीवाल के रास्ते अब देश में कई सियासी पार्टियां चलने लगी हैँ। रेवड़ी बांटने की राजनीति की शुरुआत हो गयी है। वैसे भी 27 राज्य घाटे में हंै। मध्य प्रदेश पर तीन लाख करोड़ रुपये का कर्ज है।

चुनावी साल में लाड़ली बहना के बाद नौ हजार छात्र-छात्राओं को सरकार ई-स्कूटी देने जा रही है। एससी-एसटी की छात्रवृति की आय सीमा अब छह लाख से बढ़ाकर आठ लाख कर दी गयी है। वोटरों को खुश करने मुख्यमंत्री खजाने के द्वार खोल दिए हैं। बीजेपी लाड़ली बहना योजना और कांग्रेस नारी सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत पांच सौ रुपये में गैस सिलेंडर, सरकार बनने पर सभी बहनों को डेढ़ हजार रुपये और ओल्ड पेंशन स्कीम को अपना मास्टर स्ट्रोक मान रही है। सौ यूनिट बिजली माफ और 200 यूनिट बिजली बिल हाफ करना। किसान कर्जमाफी योजना की बात अभी से कांग्रेस कर रही है। भाजपा के कट्टर हिंदुत्व की काट कांग्रेस की नजर में बजरंग बली होंगे।

शिवराज सिंह चौहान ने लाडली बहना योजना के जरिए सीटों को साधा है। महाकौशल की 38 सीट में पिछली दफा कांग्रेस को 24 सीटें मिली थीं। पिछले चुनाव में आदिवासियों की सुरक्षित 47 सीटों में बीजेपी को मात्र 16 सीट ही मिली थीं। इसलिए प्रियंका गांधी ने जबलपुर में रानी दुर्गावती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। रानी दुर्गावती सहित आदिवासी क्रांतिवीर राजा रघुनाथ शाह, शंकर शाह, संग्राम शाह और टंट्या भील के योगदान को नमन किया। दरअसल महाकौशल और बघेलखंड की 20 ऐसी सीटें हैं जहां आदिवासी वोटर निर्णायक हैं। कांग्रेस ने साफ्ट हिन्दुत्व की डगर पर चल के बीजेपी संशय में डाल दिया है। क्यों कि मध्यप्रदेश की डेढ़ सौ सीटों पर धर्म का प्रभाव है। इसलिए  कांग्रेस को बीजेपी हिन्दु विरोधी बताने में लगी है। कमलनाथ अपने आप को सबसे बड़ा हनुमान भक्त कहते हैं।

रमेश कुमार ‘रिपु’

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