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गाजियाबाद और देहरादून में लापता बेटे के दावे की जांच

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उत्तराखंड पुलिस एक अजीबोगरीब मामले की जांच कर रही है, जिसमें एक व्यक्ति ने दावा किया है कि वह पिछले पांच महीनों में दो अलग-अलग परिवारों के खोए हुए बेटे के रूप में मिला है। इस व्यक्ति का नाम मोनू शर्मा उर्फ भीम सिंह है और उसने देहरादून और गाजियाबाद में एक जैसा दावा किया कि बचपन में उसका अपहरण किया गया था और उसे राजस्थान में बंधुआ मजदूरी करने के लिए मजबूर किया गया था।

मोनू शर्मा ने गाजियाबाद के पुलिस थाने में दावा किया कि वह 31 साल पहले, जब केवल आठ साल का था, तब अपहरण का शिकार हुआ था। उसने पुलिस को अपना नाम भीम सिंह बताया और कहा कि उसे राजस्थान में रखा गया था। बाद में उसका पुनर्मिलन गाजियाबाद के एक परिवार से हुआ। हालांकि, इसके कुछ दिनों बाद, यह मामला देहरादून में भी सामने आया, जहां मोनू ने वहां की पुलिस से अपने माता-पिता को ढूंढने की गुहार लगाई थी।

पुलिस के मुताबिक, करीब पांच महीने पहले एक व्यक्ति देहरादून के एक पुलिस थाने में पहुंचा और उसने अपने माता-पिता की तलाश में मदद मांगी। पुलिस ने उसकी तस्वीरें मीडिया और समाचार पत्रों में प्रकाशित कीं। इसके बाद, आशा शर्मा नाम की एक महिला ने उसे अपने खोए हुए बेटे के रूप में पहचान लिया, और उसका पुनर्मिलन उसके परिवार से हुआ। हालांकि, बाद में मोनू ने अपने परिवार से संपर्क नहीं किया और दिल्ली जाने के बाद से कभी वापस नहीं आया। इसके बाद, आशा को यह भी पता चला कि उसके कथित बेटे ने गाजियाबाद पुलिस से अपने माता-पिता की तलाश की थी और फिर वहां भी वह एक नए परिवार से जुड़ गया।

आशा और उनके पति कपिलदेव शर्मा ने बताया कि मोनू का व्यवहार पहले से ही अजीब था और वह उनके घर में लगातार विवाद करता रहता था। मोनू ने उनकी विवाहित बेटी के बच्चों को घर से बाहर निकालने की कोशिश की थी। कपिलदेव शर्मा ने भी कहा कि उन्हें हमेशा से शक था कि वह व्यक्ति उनका बेटा नहीं हो सकता, लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी की बात मानी और उसे अपने घर में रहने दिया। मोनू ने दिल्ली जाने से पहले उनसे 8,000 रुपये उधार भी लिए थे।

देहरादून में इस व्यक्ति को अपने माता-पिता से मिलाने में मदद करने वाले मानव तस्करी रोधी इकाई के निरीक्षक प्रवीण पंत ने कहा कि मामला अभी भी जांच के दायरे में है। अगर जरूरत पड़ी तो उनकी टीम गाजियाबाद भी जाएगी। पंत ने यह भी बताया कि जब मोनू देहरादून आया था, तो वह मानसिक रूप से अस्थिर प्रतीत हो रहा था। देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने भी कहा कि पुलिस गाजियाबाद में सामने आए इस मामले की बारीकी से जांच कर रही है।

गाजियाबाद पुलिस ने बताया कि मोनू के बयानों में विसंगतियां पाई गई हैं, खासकर यह कि वह उस ट्रक चालक का नाम नहीं बता सका जिसने उसे देहरादून और गाजियाबाद दोनों जगहों पर छोड़ा था, जिससे मामले में संदेह पैदा हुआ। गाजियाबाद पुलिस इस मामले की गहन जांच कर रही है और मोनू को आगे की पूछताछ के लिए बुलाया गया है।

यह मामला अब धीरे-धीरे एक जटिल पहेली बनता जा रहा है, जहां मोनू के दावे और गवाहों के बयानों में विरोधाभास सामने आ रहे हैं। पुलिस इस मामले की पूरी सत्यता की जांच करने में लगी हुई है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि वह वास्तव में खोया हुआ बेटा है या फिर कुछ और कहानी है।

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