Women’s Day 2024: 5 साहसी भारतीय महिलाएं, जिन्होंने तोड़ी पुरुषवादी सोच की दीवार

सूबेदार प्रीति रजक मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव, इटारसी, से आती हैं। इनके पिता एक ड्राइक्लीनिंग का काम करते थे। इन्होंने एशियन गेम्स में ट्रैप शूटिंग में सिल्वर मेडल जीतकर, भारत का नाम रोशन किया। इसके बाद इन्होंने दिसंबर 2022 में कॉर्प ऑफ मिलिट्री पुलिस ज्वॉइन किया। सुबेदार रजक, शूटिंग में पहली महिला स्पोर्ट्स पर्सन हैं, जिन्होंने हवलदार के पद पर आर्मी ज्वाइन किया।

डिफेंस सेक्टर में पहले महिलाओं को जाने के लिए घरवालों से अनुमति मिलना बहुत मुश्किल था। अगर तीन दशक पहले की भी बात होती कि एक महिला एयरफोर्स में विंग कमांडर बनकर सियाचिन के ऊपर उड़ान भरेगी, तो मानना मुश्किल होता, लेकिन इस दीवार को तोड़कर विंग कमांडर नम्रता चांदी ने इतिहास में अपना नाम अमर कर दिया।

नम्रता दुबे महिलाओं की उपलब्धियों में एक और जुड़ चुका नाम है। महर्षि वाल्मिकी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, अयोध्या धाम में नम्रता एकलौती महिला अफसर हैं। यहां ये टर्मिनल मैनेजर की भूमिका निभाती हैं और एयरपोर्ट के रोज के ऑपरेशन्स और पैसेंजर्स के आवागमन को निगरानी करती हैं।

सुरक्षा के फील्ड में स्नाइपर की काफी अहम भूमिका होती है। बीएसएफ में पहली वुमन स्नाइपर के तौर पर सब-इंस्पेक्टर सुमन कुमारी ने इतिहास रच दिया है। इन्होंने इंदौर के सेंट्रल स्कूल ऑफ वेपंस एंड टैक्टिक्स में अपनी आठ हफ्ते की ट्रेनिंग पूरी की और बीएसएफ की पहली महिला स्नाइपर बनीं।

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