मैच के दौरान भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी का रमजान में जूस पीने का वीडियो वायरल होने के बाद मामला तूल पकड़ने लगा है। इस पर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। हालांकि, इस्लाम के कुछ जानकारों का कहना है कि शमी सफर में हैं, इसलिए उन पर रोजा माफ है। मामले को बेवजह तूल दिया जा रहा है।
मोहम्मद शमी मैच खेल रहे थे, तो उन्हें रोजा रखना चाहिए था। अगर वह रोजा नहीं थे, तो उसका एहतराम (सम्मान) करना चाहिए। सबके सामने जूस नहीं पीना चाहिए। - मुफ्ती प्रो. जाहिद खान, पूर्व अध्यक्ष, सुन्नी थियोलॉजी विभाग, एएमयू
मोहम्मद शमी को रोजा रखकर मैच खेलना चाहिए। इसमें उन्हें अल्लाह की मदद मिलती। जंग और खेल जीतने के लिए अल्लाह की मदद मांगी जाती है। लेकिन, वह रोजा नहीं थे। - हाफिज चौधरी इफराहीम हुसैन
इस्लाम में मरीज और मुसाफिर पर रोजा माफ है। जब तक मोहम्मद शमी न कह दें कि वह रोजा थे या नहीं, तब तक इस तरह की बातें करना फिजूल है। पिक्चर कहां की है, अभी साफ नहीं हो पाया है। - डॉ. रेहान अख्तर, प्राध्यापक, सुन्नी थियोलॉजी, एएमयू
इस्लाम में मरीज और मुसाफिर पर रोजा माफ है। जब तक मोहम्मद शमी न कह दें कि वह रोजा थे या नहीं, तब तक इस तरह की बातें करना फिजूल है। पिक्चर कहां की है, अभी साफ नहीं हो पाया है। - डॉ. रेहान अख्तर, प्राध्यापक, सुन्नी थियोलॉजी, एएमयू
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