रविदास जयंती पर पढ़िए उनके कुछ बहुमूल्य दोहे

रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच, नर कूं नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच।

जो केतन के पात, रैदास मनुष ना जुड़ सके, जब तक जाति न जात।

जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात, रैदास मनुष ना जुड़ सके, जब तक जाति न जात।

जनम जात मत पूछिए, का जात अरू पात। रैदास पूत सब प्रभु के, कोए नहिं जात कुजात॥

पराधीनता पाप है, जान लेहु रे मीत। रैदास दास पराधीन सौं, कौन करैहै प्रीत॥

ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन, पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीन।

ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन, पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीन।