अरुण गवली का जन्म 17 जुलाई 1955 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के कोपरगांव में हुआ था। उसके पिता का नाम गुलाबराव था, जो मजदूरी करके घर का खर्चा चलाते थे। जब दाऊद इब्राहिम ने मुंबई छोड़ा तो केवल दो ही खिलाड़ी अपराध की दुनिया में बचे थे- एक अरुण गवली और दूसरा अमर नाइक। अमर नाइक को एक एनकाउंटर में पुलिस ने मार गिराया, जबकि उसके भाई को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद मुंबई में अंडरवर्ल्ड की दुनिया में केवल गवली ही बचा था।
करीम लाला की, जिसका जन्म अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में 1921 में हुआ था। करीम लाला तस्करी समेत कई गैरकानूनी धंधे करता था। उसको हाजी मस्तान असली डॉन कहते थे। जरायम की दुनिया में उसकी तूती बोलती थी। वह केवल 21 साल की उम्र में पेशावर के रास्ते मुंबई पहुंचा था। उसने 1940 तक तस्करी के कामों में अपना दबदबा बना लिया। इसके बाद उसने जुएं और दारू के अड्डे भी खोल दिए।
अबू सलेम मूल रूप से आजमगढ़ का रहने वाला है। वह दाऊद इब्राहिम के लिए काम करता था। वह आजमगढ़ से युवकों को मुंबई लाकर उनसे शूट आउट को अंजाम दिलवाता था। अबू सलेम फिल्म निर्माताओं से जबरन पैसा वसूलता था। वह फिल्म निर्माता गुलशन कुमार, राकेश रोशन, सुभाष घई और राजीव राय को धमकी देने से भी पीछे नहीं हटा। इस समय वह सलाखों के पीछे है।
मुंबई अंडरवर्ल्ड की दुनिया की बात हो और दाऊद इब्राहिम का नाम सामने ना आए, ऐसा कैसे हो सकता है। दाऊद इब्राहिम भारत के मोस्टवांटेड अपराधियों की लिस्ट में पहले नंबर पर है। दाऊद कई आतंकी संगठनों से भी जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि उसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई एस आई का संरक्षण मिला हुआ है।– दाऊद 1993 में मुंबई ब्लास्ट का मुख्य मास्टरमाइंड है।