राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अगले महीने से उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर सकती है। पार्टी विभिन्न जांच एजेंसियों के जरिए कराए गए सर्वे और पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्याशियों के चयन को अंतिम रूप देगी। दोनों ही राज्यों में कई विधायकों के खिलाफ नाराजगी ने पार्टी की चिंता बढ़ा रखी है। सर्वे के बाद कांग्रेस पर ऐसे विधायकों के टिकट काटने का दबाव भी बना हुआ है पार्टी के अंदर खाने जो खबरें हैं उसके मुताबिक राजस्थान में विधायकों के खिलाफ नाराजगी सबसे ज्यादा है पिछले छ: महीने में हुए कई सर्वे में यह बात सामने आई है पार्टी को रिवाज बदलना है तो बड़ी-बड़ी संख्या में मौजूदा विधायकों की जगह नए लोगों को टिकट देना होगा इनमें कहीं मंत्री भी है। राजस्थान के मुकाबले छत्तीसगढ़ में नाराजगी कम दिखाई देती है प्रदेश कांग्रेस के अंदर खाने जो खबरें हैं उसके मुताबिक जिन विधायकों का रिपोर्ट कार्ड खराब है उन्हें अभी से चुनाव नहीं लड़ने के लिए तैयार भी किया जा रहा है उनकी नाराजगी कम करने के लिए सरकार बनने पर ऐसे नेताओं को विभिन्न सरकारी बोर्ड आदि में शामिल किया जा सकता है। राजस्थान में कांग्रेस पर बीजेपी का गुजरात मॉडल अपनाने का दबाव भी बना हुआ है। कांग्रेस ने विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा सीट पर भी पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिए हैं। गुजरात कांग्रेस की विधायकों और नेताओं को पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी सौंप गई है कई विधायकों के खिलाफ नाराजगी है ऐसा पर्यवेक्षकों का कहना भी है ऐसे में पार्टी पर दोबारा दांव लगाती है तो हार निश्चित है पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में नए चेहरों को मौका देने और उदयपुर घोषणा को लागू करने का अच्छा वक्त है।