देश रोज़ाना: कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पलवल के उपनिदेशक डा. अनिल सहरावत ने बताया कि कृषि विभाग के लगातार प्रयास से फसल अवशेषो में आगजनी की घटनाएं प्रति वर्ष कम हो रही हैं, लेकिन कृषि विभाग का लक्ष्य इन्हें पूरी तरह शून्य तक लेकर आना है। उन्होंने बताया कि धान की कटाई का समय समीप आ रहा है।
कृषि उपनिदेशक डा. अनिल सहरावत ने किसानों से बताया कि वे पर्यावरण की शुद्धता को ध्यान में रखते हुए पराली में आग न लगाएं, बल्कि कृषि यंत्रो की सहायता से फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन करें। प्रदेश सरकार के निर्णय अनुसार जो किसान धान की पराली के बंडल स्ट्रॉ बेलर की सहायता से बनवाएगा, उस किसान को एक हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष जो किसान बासमत, गैर बासमती और मुचछल किस्म के धान की पराली का सुपर सीडर, एम.बी. प्लोउ, रोटावेटर और हैरो कृषि यंत्रो द्वारा मिट्टी में ही मिलाकर उसका प्रबंधन करेगा तो उस संबंधित किसान को भी एक हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।
जो किसान कृषि यंत्रो द्वारा पराली अवशेषों का प्रबंधन करेंगे, उनके लिए प्रति एकड़ में कार्य करते हुए जीपीएस लोकेशन युक्त फोटो लेना अनिवार्य है। इसका लाभ प्राप्त करने के लिए किसान विभाग के वैबपोर्टल agriharyana.gov.in पर 30 नवंबर 2023 तक अपना पंजीकरण अवश्य करवाएं। इससे पहले किसान का मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण होना अनिवार्य है। ग्राम स्तरीय कमेटी के सत्यापन तथा जिला स्तरीय कमेटी की स्वीकृति के बाद प्रोत्साहन राशि किसानों के खाते में जमा करवा दी जाएगी।
सहायक कृषि अभियंता अमीन ने बताया कि सरकार द्वारा यह भी निर्णय लिया गया है कि जिला में स्थित गौशालाओं को धान की पराली की बेल उठाने हेतु यातायात खर्च के लिए सहायता राशि 500 रुपए प्रति एकड़ प्रदान की जाएगी, जिसकी अधिकतम सीमा 15 हजार रुपए प्रति गौशाला रहेगी। इसके लिए संबंधित गौशाला गौसेवा आयोग द्वारा पंजीकृत होनी चाहिए। गौशाला अपना दावा कृषि उपनिदेशक कार्यालय पलवल को भेजेगी। इसके पश्चात जिला स्तरीय कमेटी के सत्यापन उपरांत प्रोत्साहन राशि गौशाला के बैंक खाते में जमा करवाई जाएगी।