पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में 15 अप्रैल को बंगाल दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान किया है।
राज्यपाल सीवी आनंद बोस से बंगाल स्थापना दिवस को लेकर चल रही खींचतान के बीच आखिर टीएमसी चीफ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल दिवस मनाने का ऐलान कर ही दिया।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहां है कि हर साल 15 अप्रैल को पोयला वैशाख यानी कि बंगाली नया साल के दिन बंगाल दिवस मनाया जाएगा, इसके साथ ही ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि मैं रविंद्र नाथ टैगोर के बंगलार माटी बांग्ला जल गीत को बंगाल का राज्य गीत बनाने की प्रस्ताव का भी समर्थन करती हूं। टीएमसी चीफ ममता दीदी ने विधानसभा के प्रस्तावों की मंजूरी में राजभवन की तरफ से हो रही देरी पर राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर निशाना साधते हुए कहा कि हम देखेंगे कि बॉस के पास ज्यादा शक्तियां है या लोगों के पास।
आपको बता दे कि पश्चिम बंगाल विधानसभा में प्रस्ताव के पक्ष में 167 वोट और विरोध में 62 बीजेपी के विधायकों ने है वोट दिए तो वहीं आईएसएफ के विधायक इस दौरान सदन में मौजूद ही नहीं रहे। प्रस्ताव को नियम 167 के तहत पेश किया गया था। मीडिया खबरों के मुताबिक इस प्रस्ताव पर बीजेपी ने विरोध करते हुए कहा कि जून 20 को बंगाल डे मनाया जाए क्योंकि इस दिन बंगाल विधानसभा ने विभाजन के पक्ष में मतदान किया था हालांकि ममता बनर्जी ने इस पर आपत्ति जताई थी और इस कार्यक्रम में सरकार का कोई भी प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ था ममता बनर्जी का कहना है कि 20 जून की तारीख विभाजन के जख्म को हरा करती है इसलिए इस दिन स्थापना दिवस के तौर पर नहीं मनाया जा सकता है, इसके साथ ही ममता बनर्जी का यह भी कहना है कि 20 जून 1947 को बंगाल विधानसभा की विधायकों की बैठक हुई थी और इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान बना था और इस बंटवारे में 25 लाख लोगों को घर छोड़ना पड़ा और जान माल का भी नुकसान हुआ था।
बहरहाल ये देखना होगा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में ममजा दीदी बनाम राज्यपाल की ये तनातनी किस मोड पर आती है।