आज “किसान अधिकार यात्रा” के समापन के अवसर पर गोहाना की नई अनाज मंडी में किसानों की महापंचायत हुई जिसमें कई राज्यों से किसान नेताओं ने भाग लिया, आपको बता दें कि महापंचायत का संचालन मनोज जागलान ने किया। किसान अधिकार यात्रा पानीपत के साथ साथ सोनीपत के 200 से अधिक गाँवों में गई थी।
इस किसान यात्रा में किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने यह कहा कि एक तरफ भाजपा सरकार “1 देश, 1 कानून” की बात करती है तो वहीं दूसरी तरफ किसानों की जमीन लूटने के लिए 2021 में Haryana Assembly में 2013 का Central government का भूमि अधिग्रहण कानून बदल दिया गया।
2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में जहां किसानों की ज़मीन लेने से पहले 70% किसानों की लिखित सहमति लेने एवम कलेक्टर रेट से 4 गुणा मुआवज़ा देने का प्रावधान किया था, वो सभी किसान-हितैषी प्रावधान हरियाणा सरकार ने 24 अगस्त 2021 को हरियाणा विधानसभा में संशोधन कर के खत्म कर दिए।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 8 महीने से सोनीपत और झज्जर के किसान KMP के साथ बनाये जा रहे रेलवे ऑर्बिटल कॉरिडोर का मुआवज़ा बढ़वाने के लिए धरने पर बैठे हैं लेकिन सरकार सभी मांगों को अनसुना कर रही है।
लखविंदर सिंह औलख ने क्या कहा-
किसान नेता लखविंदर सिंह औलख ने कहा कि जो PM Crop Insurance Scheme किसानों के लिए बनाई गई थी उस बीमा योजना से बीमा कम्पनियां 57000 करोड़ रुपये कमा चुकी हैं और किसानों को खराब फसलों के मुआवजे के लिए दर-दर भटकने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार फसल बीमा कम्पनी का हर जिला मुख्यालय पर दफ्तर होना चाहिए। लेकिन कई जिलों में तो बीमा कंपनियों के दफ्तर ही नहीं हैं।
ये फसल बीमा योजना 3 वर्ष पहले गुजरात में बंद कर दी गयी थी लेकिन अन्य राज्यों में इस योजना के तहत किसानों की लूट जारी है। उन्होंने मांग करी कि खराब फसलों का मुआवज़ा देते समय 1 गाँव को 1 यूनिट मानने की बजाय 1 खेत को 1 यूनिट माना जाए क्योंकि बीमा कम्पनियां प्रीमियम भी प्रति एकड़ के अनुसार ही लेती हैं।
जरनैल सिंह चहल ने क्या कहा-
किसान नेता जरनैल सिंह चहल ने कहा कि हरियाणा-पंजाब में बाढ़ से फसलों को बहुत नुक्सान हुआ खासकर घग्गर एवम यमुना नदी के साथ लगते हुए जिलों में फसलें पूर्ण तौर पर तबाह हो गयी थी लेकिन सरकार तो मानों जैसे कुम्भकरण की नींद से सो रही है। इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि किसानों को किसी भी तरह की कोई आर्थिक मदद सरकार द्वारा नहीं दी गई है।
किसानों ने कि मांग-
अब उन्होंने मांग करी कि कृषि उत्पादों के निर्यात सम्बन्धी योजनाओं में सरकार को अब स्थिरता लाने कि जरुरत है। इसके साथ ही सरकार को बासमती धान के निर्यात पर लगी पाबंदियों को भी हटा देना चाहिए।
अलग अलग राज्यों क्र किसान नेता कि राय-
गुजरात के किसान नेता जे. के. पटेल ने कहा कि मैं हरियाणा एवम पंजाब के किसानों को सैल्यूट करता हूँ जिन्होंने 13 महीने तक दिल्ली के बॉर्डरों पर आंदोलन लड़ के देश के किसानों को कॉर्पोरेट घरानों के चुंगल में जाने से बचा लिया। उन्होंने कहा कि हरियाणा-पंजाब के किसानों का संघर्ष अन्य राज्यों के किसानों के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत है।
मध्यप्रदेश से किसान नेता जसदेव सिंह ने कहा कि आने वाले समय में पूरे देश के किसान एकजुट होकर देशव्यापी आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि आज भारत में बेरोजगारी चरम पर है, संसद में रखे गए आंकड़ों के अनुसार पिछले 9 वर्षों में 22 करोड़ से अधिक बच्चों ने सरकारी नौकरी के लिए फार्म भरे लेकिन नौकरी मात्र 7 लाख 22 हजार बच्चों को मिल पाई जो मात्र 0.3% है।
यात्रा को इन लोगों ने किया सम्बोधित-
इसके अलावा किसान महापंचायत को बद्दोवाल टोल कमेटी से सुनील बद्दोवाल, खटकड़ टोल कमेटी से हरिकेश क़ाबरचा एवम अनीश खटकड़, दशरथ मलिक, राजू सहरावत, सूरजभान गुर्जर, वीरेंद्र खोखर, आनंद नम्बरदार आदि ने सम्बोधित किया।
किसानों ने दी भाजपा सरकार को धमकी-
महापंचायत में मौजूद हजारों किसानों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया कि यदि वर्तमान सरकार ने हमारी मांगों को पूरा नहीं किया तो आगामी चुनावों में किसान एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ “वोट की चोट” करेंगे।
इसके साथ ही किसान नेताओं ने यह भी बताया कि आने वाले समय में अन्य जिलों में भी इसी तरीके से यात्राओं एवम महापंचायतों का आयोजन अन्य जिलों में भी किया जाएगा ताकि किसान अधिक से अधिक जागरूक हो और एकजुट हो सकें। महापंचायत के अंत में सभी किसानों ने गोहाना शहर में पैदल मार्च निकालकर चौधरी छोटूराम, शहीदे-आजम भगत सिंह एवम बाबासाहेब अम्बेडकर की मूर्तियों पर माला अर्पित की।