पलवल। ट्रेन दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए रेलवे विभाग ने एक योजना पर पहल की है। हालांकि इस योजना का प्रयोग अभी मथुरा रिफाइनरी रेलवे स्टेशन से बल्लभगढ़ रेलवे स्टेशन तक शुरू किया गया है। अगर यह प्रयोग सफल हुआ तो वर्ष 2023 की सर्दियों में इसे पूरे रेलवे में लागू कर दिया जाएगा।
इस योजना का बल्लभगढ़ से लेकर मथुरा तक के बीच ट्रायल शुरू किया गया है। इसके सफल होने पर जहां ट्रेन दुर्घटनाओं में गिरावट आएगी वहीं कोहरे के दौरान ट्रेन कुछ तेज गति से चल सकेंगी। पलवल रेलवे स्टेशन इंचार्ज से मिली जानकारी के अनुसार पहले आॅटोमेटिक सिस्टम के चलते लाइन पर एक गाड़ी के पीछे करीब सात-आठ गाड़ियां डाल दी जाती थीं। जिस कारण कोहरे के दौरान गाड़ी चालक को आगे की गाड़ी नजर नहीं आती थी और टकरा जाती थीं। पिछले साल हुए ट्रेन हादसों को देखते हुए रेलवे ने फोगिवेदर नामक एक योजना तैयार की। अब उसी पर ट्रायल किया जा रहा है।
फोगिवेदर में प्रत्येक पांच किलोमीटर पर एक सिग्नल लगाया जाता है। कोहरे के दौरान गाड़ी चालक उस सिग्नल को देखकर गाड़ी चलाता है। ट्रेन चालक को कोहरे के दौरान निर्देश दिया जाता है कि वह फोगिवेदर सिग्नल को देखकर गाड़ी आगे बढ़ाए। यह फोगिवेदर सिस्टम प्रत्येक स्टेशन पर बने आॅटोमैटिक सेक्शन से जोड़ा गया है। इस सिस्टम से लाइन पर दो गाड़ियां डाली जाती हंै। फोगिवेदर सिग्नल को ट्रेन चालक फॉलो करता है। आगे का सिग्नल क्लीयर होने पर चालक आगे बढ़ता है। इससे ट्रेन व चालक की पूरी सेफ्टी रहती है। यह सिस्टम कोहरे के दौरान ही शुरू किया जाता है।