Ganesh Chaturthi in 2023 : गणेश पुराण में भगवान गणेश के बारें में कई तरह की बातें बताई गई है। आज हम आपको उनमें से सबसे खास बात के बारें में जानकारी देंगे, कि आखिर गणेश जी को तीन शब्दों के नाम से क्यों बुलाया जाता है।
किसी भी नए काम की शुरुआत करने से पहले गणेश जी की पूजा- अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है, कि ऐसा करने से कामों में आई हर तरह की बाधा दूर हो जाती है और सफलता मिलती है। साल में एक दिन गणेश जी के सम्पूर्ण पूजन के रूप में मनाया जाता है जो है गणेश चतुर्थी। हर साल बड़े धूमधाम से गणेश चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन चारों तरफ बस एक ही आवाज सुनाई देती है ‘गणपति बप्पा मोरया’ लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसा क्यों कहा जाता है और इनके पीछे का महत्व क्या है।
तो आज आपके मन में चल रहें सारे सवालों के जवाब आपको जरूर मिल जाएंगे-
कैसे लिया गणपति जी ने अवतार
गणेश पुराण में बताया गया है, कि प्राचीन काल में एक सिंधु नाम का दानव था जो महाबलशाली होने के साथ दुष्ट प्रवति का भी था। वह लोगों को बहुत तंग करता था। उसके बढ़ते अत्याचारों से सिर्फ लोग ही नहीं बल्कि देवी देवता भी बहुत परेशान आ चुके थे। तब सभी ने उससे बचने के लिए गणेश जी का आह्वान किया।
दानव का किया संहार
देवताओं ने सिंधु दानव का संहार करने के लिए गणेश जी से आग्रह किया क्यूंकि दानव के रहते कोई भी शांति से नहीं रहे पा रहा था। तब गणेश जी ने मोर को अपने वाहन के रूप में चुना और छः भुजाओं वाला रूप धारण करके जबरदस्त युद्ध के बाद दानव का वध करके लोगों का उद्धार किया। तभी से गणेश जी के इस अवतार को “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारें के साथ पूजा जाता है ताकि गणपति जी लोगों के जीवन से बुराइयों को दूर करें और समाज में सुखमय वातावरण का निर्माण करें।
यही वजह है, कि हर साल गणेश जी की प्रतिमा को विसर्जित करते समय ‘गणपति बप्पा मोरया’ अगले बरस तू जल्दी आना कहा जाता है। ‘गणपति बप्पा मोरया’ शब्दों में मोरया का अर्थ गणेश जी के मयूरेश्वर स्वरूप के लिए इस्तेमाल किया जाता है।