संसद का विशेष सत्र आज से शुरू हो रहा है। इस विशेष सत्र में एक देश एक चुनाव, महिला आरक्षण, समान नागरिक संहिता समेत कई संविधान संशोधन बिल पेश होने की अटकलें लगाई जा रही है।
पांच दिवसीय इस विशेष सत्र का समापन 22 सितंबर को होगा इसमें पांच बैठकें होनी है।
तो वहीं आपको बता दें इससे पहले रविवार को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने नए संसद निर्णय भवन में राष्ट्रीय ध्वज फहराया। संसद के विशेष सत्र में पहले दिन राज्यसभा में 75 सालों की संसदीय यात्रा, उपलब्धियां, अनुभव यादों और सीख पर चर्चा होगी।
पहले दिन की कार्यवाही पुराने संसद भवन में ही चलेगी, इसके बाद 19 सितंबर को नई संसद में काम का शुरू किया जाएगा। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने बताया कि पहले दिन सत्र पुराने संसद भवन में चलेगा और दूसरे दिन यानी 19 सितंबर को पुराने संसद भवन में फोटो सेशन होगा। फिर 11:00 बजे सेंटर हॉल में एक समारोह आयोजित किया जाएगा, उसके बाद नई संसद भवन में प्रवेश किया जाएगा।
19 सितंबर को नई संसद में काम चलेगा। 17 और 20 से नियमित सरकारी कामकाज नए संसद भवन में ही होगा।
इस बार विशेष सत्र के एजेंडे के तौर पर चार बिल की बात
कही गई है,जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन से जुड़ा हुआ बिल, अधिवक्ता संशोधन बिल, पोस्ट ऑफिस बिल, प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन आफ प्रिडिकल बिल शामिल है।
सरकार की तरफ से सभी कैबिनेट मंत्रियों, राज्य मंत्री, स्वतंत्र प्रभार और राज्य मंत्रियों को विशेष सत्र के पांच दिन सदन की पूरी कार्यवाही के दौरान पूरे वक्त मौजूद रहने के निर्देश दिए गए हैं।
आपको बता दे इससे पहले सुबह 10:00 बजे विपक्षी गठबंधन इंडिया की बैठक होगी, जहां रणनीति तय की जाएगी।
संसद के विशेष सत्र पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नौ पॉइंट बताते हुए पत्र लिखा था लेकिन कोई जवाब नहीं आया। सनातन धर्म पर उन्होंने कहा हमारी पार्टी सर्वधर्म समभाव में विश्वास सकती है, हम हर धर्म का सम्मान करते हैं।
तो वहीं कांग्रेस पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था सीडब्ल्यूसी ने मांग की है कि महिला आरक्षण विधेयक संसद के विशेष सत्र के दौरान पारित किया जाना चाहिए। हैदराबाद में दो दिवसीय बैठक के पहले दिन सीडब्ल्यूसी ने अपने प्रस्ताव में 18 से 22 सितंबर तक होने वाले विशेष सत्र में विधायेक को पारित करने का मुद्दा उठाया।
अब देखना होगा कि क्या मॉनसून सत्र की तरह ये विशेष सत्र भी हंगामें की भेंट चढ़ता है या इस विशेष सत्र को बुलाने का सरकार का मकसद पूरा होता है।