देश रोज़ाना: हरियाणा में कर्मचारी चयन आयोग को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से बहुत बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट के जस्टिस ने दोनों पक्षों की बाते सुनकर अपना फैसला सुनाया है। बता दें कि लंबे समय से हरियाणा में 7 हज़ार पुलिस कांस्टेबल भर्ती पर विवाद चल रहा था। जिसपर हाईकोर्ट के जस्टिस ने पर्सेन्टाइल फॉर्मूले ( पर्सेन्टाइल फॉर्मूले के अनुसार स्थानीय बोर्ड के टॉपर छात्रों के अंक प्रतिशत की तुलना सीबीएसई सहित अन्य राज्यों के छात्रों के अंक प्रतिशत से की जाती है।) इस फॉर्मूले को एकदम सही बताया। इस फैसले की सरहाना करते हुए कहा कि यह एक त्रुटि रहित फार्मूला है।
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की तरफ से हरियाणा की वरिष्ठ उप महाधिवक्ता श्रुति जैन ने दलील दी थी कि चयन मानदंड और मूल्यांकन की पद्धति में अंतर है और वर्तमान मामले में, चयन प्रक्रिया के मानदंडों को कोई चुनौती नहीं है। आयोग ने स्पष्ट किया कि पुरुष और महिला कांस्टेबल के पद के लिए चयन वैधानिक सेवा नियमों – पंजाब पुलिस नियम, 1934 के नियम 12.6 – में निर्धारित मानदंडों के अनुसार सख्ती से किया गया है, जिसका उल्लेख 31 दिसंबर, 2020 के विज्ञापन में किया गया है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस मोदगिल की एकल पीठ कर रही थी।
मार्च आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में बेरोजगारी दर 26.8 प्रतिशत है। ऐसे में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की तरफ से 7 हज़ार कांस्टेबल पदों पर भर्तियां निकाली गई थी जिसपर विवाद शुरू हो गया। पहले से ही हरियाणा में बेरोजगारी काफी बढ़ी हुई है। ऐसे में जो भर्तियां निकाली गई है। उनपर विवाद होना सही नहीं है। हालांकि हरियाणा सरकार लगातार युवाओं के लिए कुछ न कुछ कार्य करती रहती है। हर वर्ष युवाओं के लिए रोजगार मेला लगाया जाता है। लेकिन, फिर भी हरियाणा में बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है।