आज संसद के विशेष सत्र का तीसरा दिन है। महिला आरक्षण बिल यानी नारी शक्ति वंदन अधिनियम पर सदन में चर्चा होनी है लेकिन इससे पहले लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए यह दावा किया है कि जो,उन्हें संविधान की कॉपी दी गई है,जिसे लेकर वे सदन में गए थे उसमें सोशलिस्ट और सेक्यूलर शब्द नहीं है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने नई संसद में मिली संविधान की इस कॉपी पर सवाल उठाए हैं।मीडिया की खबरों के मुताबिक उनका कहना है कि संविधान की जो नई कॉपी दी गई,जिन्हें वे अपने हाथों में पकड़कर नए संसद भवन में गए। इसकी प्रस्तावना में सोशलिस्ट सेक्यूलर शब्द नहीं है।
उन्होंने कहा कि हम जानते हैं यह दोनों शब्द 1976 में संशोधन के बाद शामिल हुए लेकिन आज की तारीख में दोनों ही शब्द संविधान में नहीं रहेंगे तो यह चिंता का विषय है,उन्होंने यह भी कहा कि मैंने यह बात राहुल गांधी को भी कहीं और उन्हें यह दिखाया उनका कहना था कि मैं यह मुद्दा नहीं उठा पाया क्योंकि कोई मौका नहीं मिला।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी कहते हैं कि उनकी मंशा संदिग्ध है यह बड़ी चतुराई से किया गया है मेरे लिए यह चिंता का विषय है। मैंने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की लेकिन मुझे इस मुद्दे को उठाने का मौका नहीं मिला।
गौरतलब है की नई संसद भवन में लोकसभा की कार्यवाही महिला आरक्षण बिल के साथ शुरू हुई लोकसभा में इस विधेयक को पेश किया गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बिल को अब नारी शक्ति वंदन अधिनियम का नाम दिया।
इसके बाद विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी बोलने तो उठे,उन्होंने कहा कि इस बिल को कांग्रेस सरकार के दौरान पेश किया गया था और यह लोकसभा में पारित हो चुका है जबकि राज्यसभा में अटक गया था लेकिन उनकी इस बात को लेकर सत्ता पक्ष के सांसदों ने आपत्ति जताई।
फिर अधीर रंजन चौधरी ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि सदन में किसका क्या विचार है यह उसके व्यवहार से पता चलेगा आप ही देखिए इन लोगों को यह तो आपकी बात का भी सम्मान नहीं कर रहे हैं, इस तरह का व्यवहार तो सीधे-सीधे प्रधानमंत्री का अपमान है, इसके साथ यह अधीर रंजन चौधरी ने यह भी कहा कि अगर इन लोगों के सामने यह मुद्दा उठाया जाएगा तो यह लोग कहेंगे कि हमने पहले वाली कॉपी दी है।