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बोधिवृक्ष : जेल जाना स्वीकार किया, जुर्माना देना नहीं

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राजस्थान विधानसभा के उपाध्यक्ष थे सवाई मल। वह गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित थे। उन्होंने गांधी जी के नीति और सिद्धांतों के अनुरूप आजादी की लड़ाई लड़ी थी। भारत को आजाद कराने में न जाने कितने क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। न जाने कितने भारत के लाल ने अपना सर्वस्व लुटाया, तब जाकर देश आजाद हुआ था। लोगों ने अंग्रेजों के अत्याचार सहे थे। न जाने कितने परिवार आजादी की लड़ाई में बरबाद कर दिए गए। तब जाकर हमारा देश आजाद हुआ था। उन्हीं में से एक थे सवाईमल।

जब सवाई मल 19 साल के थे, तभी वे गांधी जी विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार कार्यक्रम से प्रभावित हुए और उन्होंने लोगों को स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने को प्रेरित करना शुरू कर दिया। बहुत सारे लोग उनसे प्रभावित भी हुए। कुछ युवाओं को जोड़कर उन्होंने एक मंडली बनाई जो विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करती थी। लेकिन उनके बड़े भाई ने जबलपुर में विदेशी वस्तुओं की दुकान खोल रखी थी। कुछ लोगों ने यह भी कहना शुरू कर दिया कि तुम तो दूसरों को विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार करने को कहते हो, लेकिन तुम्हारा भाई विदेशी वस्तुओं को ही बेचता है। उन्होंने अपने भाई को किसी तरह मनाया।

वे विदेशी वस्तुओं की जगह पर धार्मिक पुस्तकें बेचने लगे। इसी दौरान उन पर अंग्रेजों की नजर पड़ी तो उन्हें विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार को लेकर जेल में डाल दिया गया। उन्हें छह महीने की जेल और 20 रुपये जुर्माना लगाया गया। जब जुर्माना अदा करने की बात आई तो उन्होंने जुर्माना अदा करने से इनकार कर दिया। कहा कि हम जुर्माना नहीं देते हैं। इसके चलते उन्हें डेढ़ महीने और जेल में रहना पड़ा। बाद में उन्होंने पूरे मध्य प्रदेश में गांधीवादी विचारधारा का प्रचार किया। गांधी जी उन्हें बहुत मानते थे।

अशोक मिश्र

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