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पीएम विश्वकर्मा से सुदृढ़ होगी विकसित भारत की नींव

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भारतीय कारीगरों और शिल्पकारों को सशक्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर विश्वकर्मा जयंती के शुभ अवसर पर ह्यपीएम विश्वकर्माह्ण की ऐतिहासिक शुरुआत की। आजादी की 77वीं वर्षगांठ पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना के बारे में देशवासियों को अवगत कराया था। केंद्र सरकार ने 13,000 करोड़ रुपये की राशि से एक समग्र योजना शुरू की है, जो पारंपरिक कौशल और अपने उत्पादों के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रहे कारीगरों को नई पहचान देगी। पारंपरिक कौशल से जुड़े कामगारों को सम्मान और पहचान दिलाने के साथ मुख्यधारा से जोड़ने के प्रधानमंत्री के विजन से प्रेरित यह योजना विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में गेम चेंजर साबित होगी। योजना का लक्ष्य पारंपरिक कौशल से जुड़े कामगारों के उत्पादों की आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ाना और मजबूत करना है, जिसका लाखों भारतवासियों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा

आज वैश्विक पटल पर भारतीय नेतृत्व का डंका बज रहा है। हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। भारत की इस उपलब्धि में पारंपरिक कारीगर और शिल्पकारों की अहम भूमिका है। ये वही लोग हैं, जो अपने हाथों और औजारों से एक ऐसा उत्पाद तैयार करते हैं, जो हमारे दैनिक जीवन पर सार्थक प्रभाव डालता है। इन्हीं विश्वकर्मा बंधुओं के प्रयास से स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र फलता-फूलता रहा है। ये कारीगर और शिल्पकार ही स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। प्रधानमंत्री ने विश्वकर्मा भाईयों-बहनों के दर्द को समझा। उनके नेतृत्व में तैयार की गई पीएम विश्वकर्मा योजना की 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती पर ऐतिहासिक शुरुआत हुई है।

आज जब वैश्विक पटल पर विकसित भारत की तस्वीर तेजी से उभर रही है, चंद्रयान-3 की सफलता के बाद विश्व में भारत का डंका बज रहा है, ॠ20 जैसे वैश्विक आयोजन की सफल मेजबानी कर भारत ने दुनिया के सामने निवेश और व्यापार के नए अवसर खोले दिए हैं, इस तरह की योजना की शुरुआत जनता के प्रति सरकार की जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व को दर्शाती है। यह योजना सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के प्रधानमंत्री के विजन को धरातल पर लागू करने की दिशा में क्रांतिकारी कदम साबित होगा।

पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य विश्वकर्मा भाइयों के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना है, ताकि आधुनिक उपकरणों और प्रौद्योगिकी के साथ डिजिटलीकरण की तेजी से विकसित हो रही दुनिया में स्थानीय और वैश्विक बाजारों तक उनकी पहुंच आसान हो सके। इस योजना में 18 प्रकार के पारंपरिक व्यवसायों को शामिल किया गया है। यह योजना इन व्यवसायों से जुड़े कारीगरों को मुख्यधारा में लाने और एक सफल उद्यमी बनाने के लिए उन्हें आधुनिक टूलकिट, क्रेडिट सहायता और बाजारों तक बेहतर पहुंच प्रदान करके सशक्त बनाने का प्रयास करती है।

भारत के कारीगर और शिल्पकार अपने कौशल के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। ये कौशल एक से दूसरी पीढ़ी तक परिवारों और अन्य अनौपचारिक समूहों में पारंपरिक प्रशिक्षण वाली गुरु-शिष्य परंपरा का अनुसरण करते हुए प्रदान किए जाते हैं। इस योजना का लक्ष्य उन्हें नई-नई तकनीकों का प्रशिक्षण देकर उनके कौशल को निखारना है, जिसमें बुनियादी कौशल प्रशिक्षण और उन्नत कौशल प्रशिक्षण शामिल हैं।

भारत जैसे देश में, जहां बड़ी आबादी के पास करीब 10 साल पहले तक अपने बैंक खाते तक नहीं थे, किसी भी असंगठित क्षेत्र से जुड़े कामगारों के लिए ऋण लेना कितना चुनौतीपूर्ण होता होगा, यह सहज ही समझा जा सकता है। आज जिस रफ्तार से दुनिया आगे बढ़ रही है, उसमें बेहतर कौशल के लिए उन्नत और परिष्कृत उपकरणों व प्रौद्योगिकी की आवश्यकता भी बढ़ती जा रही है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए इस योजना के तहत विश्वकर्मा भाइयों एवं बहनों को ई-वाउचर दिया जाएगा, जिसकी मदद से वे बेहतर टूलकिट खरीद सकेंगे। इसके अलावा, रियायती ब्याज दरों पर उपलब्ध ऋण को कौशल प्रशिक्षण के स्तर से भी जोड़ा जाएगा। 1 लाख तक की राशि के लिए लाभार्थी को पांच से सात दिनों का कौशल प्रशिक्षण लेना होगा। इसी प्रकार 15 दिनों का उन्नत कौशल प्रशिक्षण प्राप्त लाभार्थी 2 लाख रुपए तक के ऋण के लिए पात्र होंगे। ये सभी लोन पूरी तरह से बिना किसी गारंटी के वितरित किये जाएंगे।
भारत आज अपनी अर्थव्यवस्था में डिजिटलाइजेशन को महत्वपूर्ण स्थान दे रहा है। पीएम विश्वकर्मा में भी डिजिटलाइजेशन को ध्यान में रखा गया है और लाभार्थियों को डिजिटल लेनदेन अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की योजना बनाई गई है। लाभार्थियों को डिजिटल लेनदेन के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए कैशबैक का प्रावधान भी शामिल है।

सप्लाई चेन में देश के कारीगर और शिल्पकारों की प्रभावी भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए यह योजना व्यापक मार्केटिंग सहायता प्रदान करेगी, जो प्रदर्शनियों और व्यापार मेलों में भागीदारी से लेकर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करेगी। लाभार्थियों को ब्रांडिंग, विज्ञापन, प्रचार और अन्य मार्केटिंग गतिविधियों के रूप में भी सहायता दी जाएगी। साथ ही गुणवत्ता प्रमाणन पर भी ध्यान दिया जाएगा।

पीएम विश्वकर्मा योजना वास्तव में सरकार के समग्र दृष्टिकोण का बेहतरीन उदाहरण है। केंद्र सरकार के तीन मंत्रालय और विभाग, एमएसएमई मंत्रालय, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय व वित्तीय सेवा विभाग इस योजना के कार्यान्वन में एक साथ काम कर रहे हैं। इस योजना का महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि संभावित लाभार्थी के सत्यापन और योजना के कार्यान्वयन व निगरानी में राज्य सरकारों की सक्रिय भूमिका होगी।

पीएम विश्वकर्मा के माध्यम से लाखों कारीगर और शिल्पकार जिनकी उद्यमशीलता पर हमें गर्व है, अपने स्वयं के उद्यम स्थापित करने में सक्षम होंगे। यह योजना बेहतर क्षमता निर्माण, आधुनिक उपकरणों तक पहुंच, बिना गारंटी के लोन, उत्पादन में वृद्धि और आसान बाजार पहुंच प्रदान करेगी। इस योजना को पहले से चल रही योजनाओं के साथ जोड़ा जाएगा। पीएम विश्वकर्मा योजना में प्रावधान है कि लाभार्थियों के पास पैन होने की स्थिति में उद्यम पोर्टल से और पैन नहीं होने की स्थिति में उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा। कारीगर और शिल्पकार अपनी रचनात्मकता और कौशल के माध्यम से देश के सामाजिक-आर्थिक वातावरण में बड़ा योगदान दे रहे हैं। हमारा मकसद यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें एक बेहतर माहौल मिले। आज हम उस दौर में हैं, जिसमें भारत की सांस्कृतिक विरासत का न केवल जश्न मनाया जाता है, बल्कि उसे समृद्ध बनाने के लिए प्रयास किया जाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल्पना को साकार रूप देते हुए पीएम विश्वकर्मा योजना हमारे देश की जीडीपी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होगी और ग्रामीण आबादी की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि भी करेगी। साथ ही कारीगरों और शिल्पकारों का उत्थान हमारे देश को दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में प्रमुख भूमिका निभाएगा। आइए हम सब मिलकर उन्हें सम्मान दें, उनके सामर्थ्य को बढ़ाने में मदद करें और उनकी समृद्धि सुनिश्चित करें।

नारायण राणे

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