कविता, देश रोजाना
फरीदाबाद। जहां एक तरफ सरकार द्वारा संस्थागत प्रसूति को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए जा रहे है। जिसके तहत कई योजनाएं सरकार ने चला रखी है तो वहीं दूसरी तरफ घर के निकट ही गर्भवती महिलाओं को इलाज की सम्पूर्ण सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए डिलीवरी हट सेंटर खोल रखे हैं। डायल 112 पर निशुल्क एम्बुलेंस की सुविधाएं गर्भवती महिलाओं के लिए उपलब्ध करवा रखी है। वहीं गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की जांच कराने और प्रसूति के लिए उन्हें अस्पताल जाने के लिए आशा वर्कर भी हैं। लेकिन इन सबके बावजूद आज भी जागरूकता के आभाव में घरों में महिलाओं की डिलीवरी हो रही है। इसके अलावा अनेक गर्भवती महिलाएं शर्म के कारण अस्पताल समय पर नहीं पहुंच पाती है। ऐसा ही बीके सिविल अस्पताल के प्रसूति वार्ड में भर्ती की गई दो महिलाओं और उनके परिजनों से सुनने को मिला। इनमें से एक महिला ने बीके अस्पताल परिसर और दूसरी ने घर में बच्चे को जन्म दिया।
अस्पताल परिसर में प्रसूति : सेक्टर-56 निवासी सूरज की पत्नी निजमा पिछले दिनों गर्भवती थी। जिसे सोमवार की सुबह तेज प्रसव पीडा होने लगी। लेकिन शर्म के कारण उसने अपने परिजनों को इस बारे मेंनहीं बताया। ऐसे में जब निजमा की मां गुड्डी ने देखा तो वह सबकुछ समझ गई। उसने एक आॅटो मंगवा लिया और उसमें निजमा को बैठाकर पास के अस्पताल में लेकर गई। जहां चिकित्सक न होने पर वह बीके लेकर निजमा को पहुंचे। लेकिन अपातकालीन कक्ष के सामने ही निजमा की डिलीवरी हो गई। परिजनों ने शोर मचा दिया। जिस पर प्रसुति कक्ष में तैनात चिकित्सक और स्टाफ को सूचना मिली। करीब तीन से चार मिनट के भीतर निजमा को प्रसुति कक्ष में भर्ती करवा दिया गया। जहां जच्चा बच्चा की जांच की गई। जांच में दोनों स्वास्थ्य पाए गए।
दूसरा मामला: एसी नगर निवासी श्रीनिवास की पत्नी कमलेश को पता ही नहीं था कि वह सात माह की गर्भवती है। प्रसव पीडा होने पर उसे इस बारे में पता चल गया। जिस पर उसने अपनी बुआ को बुलाया। लेकिन बुआ के आने से पहले ही उसकी डिलीवरी घर में हो गई। बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ था। जिससे उसका प्लेजेंटा फंस गया और उसकी हालत गंभीर हो गई। तब कहीं जाकर उसे बुआ मीना ने बीके अस्पताल में भर्ती करवाया। कमलेश ने बताया कि पति तीन दिन से बीमार है। सोमवार को सुबह तीन बजे मीना को दर्द हुआ। रात होने के कारण बुआ सुबह आई। ऐसे में देरी के कारण डिलीवरी घर में ही हो गई। उसने एक और खुलासा यह किया कि इससे पहले उसके छह बच्चे हैं। उसे सातवीं बार गर्भावस्था होने का पता ही नहीं था।
चिकित्सक का कथन: बीके अस्पताल में तैनात डॉ अरूणा गोयल ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को जागरूक होना पडेगा। समय से महिलाएं आएं, तो डिलीवरी अस्पताल में ही हों। एक डिलीवरी घर पर हुई है और दूसरी अस्पताल परिसर के भीतर हुई है। ऐसी अवस्था में महिलाओं को जागरूक होना पडेÞगा और समय पर परिजनों को जानकारी देनी होगी। प्रति माह अस्पताल से सात से आठ ऐसे केस आते हैं। इससे बचाव के लिए महिलाओं को समय पर जांच करवाने के साथ जागरूक भी होना पडेÞगा। ताकि जच्चा और बच्चा को हम बचा सकें।