अब्राहम लिंकन का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। वे प्रथम रिपब्लिकन थे, जो अमेरिका के राष्ट्रपति बने। कहा जाता है कि अब्राहम को अमेरिका के राष्ट्रपति के पद तक पहुंचने के लिए बहुत ही संघर्षों को सामना करना पड़ा था। उन्होंने अपने शुरुआती जीवन से ही कई उतार चढ़ाव पलों को देखा। जब वह अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो उन्होंने ही यहां चल रही दास प्रथा को खत्म किया था। जब लिंकन 10 साल के थे तो उनकी मां की मौत हो गई। जिसके बाद लिंकन अपने पिता के साथ केंटकी से इंडियाना आ गए। लिंकन ने किताबें पढ़ने के लिए फार्म में किया। साथ ही दीवारों में बाड़ लगाई और न्यू सलेम, इलिनोइस के स्टोर में भी काम किया।
लिंकन के बारे में कहा जाता है कि उन्हें किताबें पढ़ने का इतना शौक था कि वो रोड में लैंप पोस्ट के नीचे पढ़ते थे। इसके बावजूद उनका मन नहीं भरता था। उन्हें लगता था कि स्कूल का समय बहुत कम होता है। इसे बढ़ाया जाना चाहिए। यह बात एक बार उन्होंने अपने अध्यापक से कही, तो वह हंस पड़े और बोले कि हर लड़का तुम्हारी तरह नहीं है। यदि पढ़ने में इतना ही मन लगता है, तो घर पर पढ़ा करो। बस फिर क्या था?
वे स्कूल से लौटने के बाद घर पर भी पढ़ने में जुट जाते थे। उन दिनों कागज आसानी से नहीं मिलता था, तो उन्होंने लकड़ी की तख्ती पर कोयले से लिखना शुरू कर दिया। कई बार तो वे घर की लकड़ी की दीवार पर भी लिखना शुरू कर देते थे। धीरे-धीरे वह पढ़ते चले गए और एक दिन वे अमेरिका के नामी वकील बन गए। जब वे अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो उन्होंने दास प्रथा का अंत कर दिया। इससे नाराज एक्टर जान बिल्कीश बूथ ने अब्राहम लिंकन की गोली मारकर हत्या कर दी। इस तरह एक महान नेता का अंत हो गया।