देश रोज़ाना: सत्रहवीं शताब्दी में जन्मे संत तुकाराम भारत के महान संतों में गिने जाते हैं। इनके कुल के लोग विष्णु के अवतार माने जाने वाले बिठोबा के भक्त थे। संत तुकाराम का जन्म 1598 में पुणे के पास देहू नामक गांव में माना जाता है। संत तुकाराम का वास्तविक नाम तुकाराम बोल्होबा अंकिले था। कुरबी जाति से संबंध रखने वाले संत तुकाराम का परिवार खुदरा और थोक व्यापार करने वाला प्रतिष्ठित परिवार था। कहा जाता है कि इनकी पत्नी बहुत कर्कशा थीं। लेकिन संत तुकाराम अपने धैर्य की वजह से उसका मन बदलने का प्रयास करते रहते थे। वे बिठोबा का रोज पूजा अर्चना करते थे। कहा जाता है कि उन्हीं दिनों छत्रपति शिवाजी ने संत तुकाराम की ख्याति सुनी, तो वे उनके दर्शन को लालायित हो उठे।
महाराष्ट्र में संत तुकाराम को उन दिनों मानने वाले बहुत थे। छत्रपति शिवाजी ने एक सुंदर पालकी भेजते हुए मंत्री से कहा कि वह आदर के साथ संत तुकाराम को लिवा लाएं। जब मंत्री ने उनके पास जाकर विनती की, तो संत तुकाराम ने कहीं जाने से इनकार करते हुए कहा कि मैं रोज बिठोबा की पूजा करता हूं। इसलिए मेरा कहीं आना-जाना संभव नहीं है। मैं यहीं से शिवाजी की सफलता की कामना करता हूं। मेरा आशीर्वाद उनके साथ है कि वे हिंदवी राज्य की स्थापना करने में सफल हों।
संत तुकाराम की बातों को मंत्री ने जाकर छत्रपति शिवाजी से बताया तो वे गदगद हो उठे। एक दिन शिवाजी खुद संत की कुटिया में पहुंच गए और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। जब वे चलने लगे, तो उन्होंने स्वर्ण मुद्राओं से भरी एक थैली संत तुकाराम को देनी चाही, लेकिन संत ने उसे लेने से इनकार करते हुए कहा कि इसका उपयोग किसी अच्छे कार्य में कर लीजिएगा। यह सुनकर शिवाजी श्रद्धा से उनके चरणों में झुक गए।
– अशोक मिश्र