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खेल के मैदान से वंचित हमारे देश के खिलाड़ी

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इस बार के एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारतीय खिलाड़ियों ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है, उससे साफ जाहिर होता है कि अगर खिलाड़ियों को भरपूर अवसर मिले तो वह दुनिया को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा सकते हैं। खिलाड़ियों के इसी क्षमता को पहचानते हुए केंद्र सरकार खेलो इंडिया जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम चला रही है। इसका फायदा देखने को मिल रहा है। पिछले दशकों में अधिकतर अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया है।

यही कारण है कि अब पंजाब, हरियाणा और उत्तर पूर्व के अलावा अन्य राज्यों से भी खिलाड़ी उभर कर सामने आ रहे हैं। राज्य सरकारें भी इसका लाभ उठाकर खिलाड़ियों के हितों में उत्साहवर्द्धन के लिए सरकारी नौकरी और इनामों की बौछार कर रही हैं। लेकिन किसी खिलाड़ी को अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए सबसे जरूरी प्रैक्टिस होती है जिसके लिए मैदान की जरूरत है। देश के कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां खिलाड़ियों में प्रतिभा केवल मैदान की कमी के कारण उभर कर सामने नहीं आ पाती है।

इन्हीं में एक राजस्थान के बीकानेर स्थित लूणकरणसर ब्लॉक का ढाणी भोपालाराम गांव है। ब्लॉक से करीब नौ किमी दूर यह गांव जहां बुनियादी सुविधाओं की कमियों से जूझ रहा है तो वहीं दूसरी ओर खिलाड़ियों की प्रैक्टिस के लिए एक अदद मैदान के लिए भी तरस रहा है। गांव के लड़के दूर जाकर प्रैक्टिस कर लेते हैं लेकिन लड़कियों को गांव में ही यह सुविधा नहीं मिलने के कारण खेल छोड़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इस संबंध में गांव की एक किशोरी सुमन बताती है कि उसने 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी क्योंकि उसे खेलों में दिलचस्पी थी।

मैदान की सुविधा नहीं होने से उसे अपने सपनों को तोड़ना पड़ा। वहीं स्नातक छात्रा जेठी बताती है कि गांव में कहीं भी खेलने और प्रैक्टिस करने के लिए मैदान उपलब्ध नहीं होने से कई प्रतिभावान लड़कियां उभर कर सामने नहीं आ सकीं।
सॉफ्टबॉल प्लेयर विजयलक्ष्मी राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में जिला का प्रतिनिधित्व कर मेडल जीत चुकी है। इस संबंध में गांव के 36 वर्षीय मुकेश कहते हैं कि गांव में खेल के लिए मैदान नहीं होने का सबसे ज्यादा नुकसान लड़कियों को हो रहा है जिनमें लड़कों के बराबर खेलने और मेडल जीतने की क्षमता है।

वह कहते हैं कि इस संबंध में गांव वालों ने कई बार प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मुलाकात कर समस्या से अवगत कराया, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। उन्होंने बताया कि राज्य स्तर पर प्रति वर्ष राजीव गांधी शहरी व ग्रामीण ओलंपिक का आयोजन किया जाता है। इसके लिए आनलाइन पंजीकरण कराना होता है, लेकिन गांव में ई-मित्र सुविधा नहीं होने से गांव के कई प्रतिभावान खिलाड़ी मैडल से वंचित रह जाते हैं।

गांव में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय एकमात्र स्थान है जहां छात्र-छात्राओं को खेलने की सुविधा उपलब्ध है। यही कारण है कि इस स्कूल से वासुदेव, राधेकृष्ण, राकेश, लाजवंती और विजयलक्ष्मी जैसी खिलाड़ियां उभर कर सामने आई हैं, जिन्होंने जिला और राज्य स्तर खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेकर सिल्वर और ब्रॉन्ज मैडल जीता और ढाणी भोपालाराम गांव का नाम रौशन किया है। इस संबंध में स्कूल की प्रिंसिपल पूजा पुरोहित बताती हैं कि स्कूल में छोटा खेल का मैदान है, जहां न केवल छात्र-छात्राओं को प्रैक्टिस की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है बल्कि स्कूल के पीटी टीचर की देखरेख में खिलाड़ियों की प्रतिभा को निखारने का प्रयास किया जाता है, जिसका सुखद परिणाम भी सामने आ रहा है। उन्होंने बताया कि स्कूल में खिलाड़ी बास्केटबॉल, क्रिकेट, खोखो और सॉफ्टबॉल की प्रैक्टिस कर स्टेट लेवल तक इनाम जीत चुके हैं।

-मनीषा छिम्पा

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