देश रोज़ाना: यह सिर्फ एक वाक्य नहीं बल्कि एक बहुत बड़ा सवाल है। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा हम क्यों लिख रहे है। दीपक शर्मा नाम के एक ट्विटर यूजर ने ट्वीट किया है कि
माया मिली न राम !
पिछले 7-8 बरसों में गोदी मीडिया की सिर्फ साख ही चौपट नहीं हुई आमदनी भी 40 प्रतिशत से अधिक घटी है। कई न्यूज चैनल अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं। कई जगह छंटनी जारी है। सरकार 2024 तक बड़े चैनल्स को फंड अरेंज करके जीवित रखना चाहती है पर 24 के बाद क्या होगा ?? कहना मुश्किल है।
अरबन मार्केट से टीवी चैनल्स पूरी तरह सिमट रहे हैं। छोटे कस्बों और गांव में प्रसारित होकर रेवन्यू मॉडल ज्यादा बरसों तक नहीं चल पायेगा।
विज्ञापन का एक बड़ा हिस्सा डिजीटल कंपनियों में जा रहा है। डिजीटल एक कम बजट और स्टाफ का मॉडल है जहां 150-200 कर्मियों वाले न्यूज चैनल वाईबल नहीं है। चिंता गोदी मीडिया के सिमटने की नहीं है। चिंता गोदी चैनल्स में काम कर रहे हजारों पत्रकार और स्टाफ के परिवारों की है। हम गोदी मीडिया मालिकों के साथ नहीं है पर हम वेतनभोगी पत्रकारों के साथ खड़े हैं।
सुना है मुकेश अम्बानी अपने टीवी नेटवर्क के लिये कोई प्लान लेकर आ रहे हैं। शायद कोई बड़ा डिजीटल नेटवर्क खड़ा करेंगे। जो भी करें पर स्थिति विकट है और विकल्प कम हैं।
बता दें दीपक शर्मा कोई आम व्यक्ति नहीं है। अपने समय में यह एक अच्छे पत्रकार रह चुके है। वर्तमन में एक अच्छे यूट्यूबर है। और कहीं ना कहीं यह सच भी है। किसी भी टीवी चैनल को चलाने के लिए बड़े- बड़े सर्वर की आवश्यकता होती है। अच्छे स्टाफ की जरूरत होती है। लेकिन कमाई के नाम पर सिर्फ कुछ विज्ञापन ही मिल पाते है। जिससे एक टीवी स्टाफ को मैनेज कर पाना ही बहुत मुश्किल हो जाता है।
टीवी चैनल के बंद होने का एक सबसे बड़ा कारण यह भी हो सकता है कि एक बहुत बड़े दर्शक वर्ग का डिजिटल की तरफ शिफ्ट हो जाना। आज के समय में बहुत से युवा और दर्शक डिजिटल मीडिया में शिफ्ट में हो रहे है। बहुत से लोग टीवी कम और सोशल मीडिया देखना अधिक पसंद करते है। और युवाओं के जरूरत की सभी चीज़े आसानी से सोशल मीडिया पर मिल जाती है। इस मुद्दे पर आपकी क्या राय है कमेंट करके जरूर बताएं।