देश रोज़ाना: 7 अक्टूबर को दक्षिणी इजराइल पर हमास के दुर्भाग्यपूर्ण हमले के बाद इजराइली सेना द्वारा बदले की कार्रवाई विगत 16 दिन से लगातार जारी है। खबरों के अनुसार हमास के हमले में लगभग 1,400 इजराइली और कई विदेशी नागरिक मारे गए थे। इजराइल सेना द्वारा बदले में अब तक गाजा को लगभग पूरी तरह तहस नहस किया जा चुका है। हमास का इजरायल पर हमला करना पूर्णत: निंदनीय है। लेकिन इजरायली सेना के जवाबी हमलों में गाजा में अब तक लगभग 25 हजार से ज्यादा इमारतें तबाह हो चुकी हैं। लगभग एक दर्जन अस्पतालों और 50 से अधिक स्कूलों पर इजरायली टैंकों व वायु सेना द्वारा बमबारी कर उन्हें ध्वस्त किया जा चुका है।
गाजा में अब तक मरने वालों की संख्या लगभग सात हजार से अधिक हो चुकी है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गाजा में अब तक मारे गए लोगों में से लगभग 70 प्रतिशत बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार गाजा में पांच लाख से ज्यादा लोग घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। गाजा में केवल एक अस्पताल पर हुए हमले में ही पांच सौ से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसके बाद पूरी दुनिया में इजरायल के विरुद्ध गुस्सा फैल गया था। इस युद्ध अपराधी हमले की चौतरफा आलोचना व निंदा की गयी थी।
इस मानवता विरोधी युद्ध के दौरान दुनिया के अनेक देशों में फिलिस्तीनियों के समर्थन तथा ‘जायनिस्टों’ की क्रूरता के विरोध में प्रदर्शन किये गये हैं। यहाँ तक कि इजरायल, अमेरिका और ब्रिटेन सहित कई देशों में तो स्वयं इजरायली मानवतावादियों द्वारा ‘जायनिस्टों’ द्वारा किये जा रहे युद्ध अपराधों के विरुद्ध प्रदर्शन किये गये हैं। इसके अतिरिक्त हजारों लोग अमेरिका और यूरोप में भी कई प्रमुख शहरों में फिलिस्तीन के समर्थन में सड़कों पर उतर आए हैं।
यहूदी संगठनों के सदस्यों सहित हजारों फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारी पिछले दिनों वॉशिंगटन के कैपिटल हिल में सड़कों पर उतर आए। उन्होंने इजरायल-हमास के बीच चल रही जंग तत्काल बंद करने की मांग की। दुनियाभर के और भी कई देशों में इजरायल के विरोध और फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं। कनाडा के टोरंटो सहित कई शहरों में भी फिलिस्तीन के समर्थन में नारेबाजी की गई और इस जंग को तुरंत रोकने की मांग की गयी।
आश्चर्य की बात है कि इस युद्ध का सबसे अधिक उन्माद भारत में दिखाई दे रहा है। वह भी सोशल मीडिया और टीवी चैनल्स पर। भारत में इजराइल-हमास युद्ध का उन्माद इस कदर छाया हुआ है कि इसमें झूठ फरेब और अफवाहों का भी बोलबाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत फिलिस्तीनी अधिकारों के तो साथ है परन्तु हमास की हिंसक कार्रवाइयों के विरुद्ध है। भारतीय दक्षिणपंथियों द्वारा इजरायल के दक्षिणपंथी जायनिस्टों का भरपूर समर्थन सीमा से भी आगे जाकर किया जा रहा है। निश्चित रूप से भारतीय मुसलमानों की हमदर्दी पीड़ित फिलिस्तीनियों के साथ है। मुसलमान ही नहीं, बल्कि भारत भी आठ दशक से फिलिस्तीनियों के अधिकारों के समर्थन में खड़ा रहा है और आज भी है।
भारत में दक्षिणपंथियों द्वारा इस हद तक इजरायली क्रूरता को अपना समर्थन देना कि अनेक लोग सोशल मीडिया पर इजरायली सेना की ओर से युद्ध करने की पेशकश करने लगें, अपने प्रोफाइल में इजरायली झंडे लगाने लगें, हमास की क्रूरता भरे वीडियो पोस्ट करें। इजरायली जायनिस्टों का अमानवीय पक्ष इन्हें नजर न आये, न इन्हें इजरायली वायु सेना की गाजा के अस्पतालों पर बमबारी दिखाई दे, न ही फिलिस्तीनियों का दाना-पानी बंद करना तक नजर न आए। उल्टे इजरायल द्वारा किए जा रहे नरसंहार पर जश्न का माहौल बनाने लगें। उसे भी वहाँ हमास की ज्यादतियों के निशान तो जरूर नजर आ रहे हैं परन्तु इजरायली जायनिस्टों द्वारा किये जा रहे युद्ध अपराधों को देखने दिखाने में इनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। सवाल यह है कि क्या यह मीडिया के एक दशक के दुष्प्रचार की ही देन है कि आज भारत जैसे शांतिप्रिय देश में इजरायल-हमास युद्ध के दौरान युद्धोन्माद का वातावरण बना हुआ है? (यह लेखक के निजी विचार हैं।)
– तनवीर जाफरी