देश रोज़ाना: दिल्ली मतलब देश की राजधानी। जी हां, देश की राजधानी का दायरा पसर रहा है। सरकारी कागजों में न सही, लोगों के दिलों में सही। रिहाइश भले जिला गाजियाबाद हो, फरीदाबाद हो लेकिन हम बताते दिल्ली ही हैं क्योंकि हमारे दिल में दिल्ली है, सपनों में दिल्ली है। फासले सिमट रहे हैं। दनादन बिछाई जा रही रेल की पटरियों ने दूरियों की खाई को पाट दिया है।
यह खूबसूरत बदलाव पहले दिल्ली मेट्रो ने किया, अब रैपिड रेल कर रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साहिबाबाद से दुहाई के बीच दौड़ने वाली देश की पहली रैपिड रेल को हरी झंडी दिखाई। यह रेल लाइन दिल्ली से मेरठ को जोड़ देगी। इस नई रेल लाइन की शुरुआत ने जहां, किसानों की तिजोरी भर दी, वहीं इसकी वजह से लाखों लोगों के सपनों ने भी करवट ली है। ताज्जुब नहीं कि आने वाले दिनों में इतिहास के दो छोर थोड़े और करीब आ जाएं। दिल्ली अब मेरठ के और करीब सरक आए।
भविष्य का मंजर कैसा होगा, उसके दीदार के लिए तो थोड़ा इंतजार करना होगा। लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में जब प्रधानमंत्री मोदी ने रैपिड रेल को झंडी दिखाई, तो 14 साल वह पुराना मंजर बरबस आंखों में तैर गया, जब दिल्ली मेट्रो पहली बार अपने सफर पर निकली थी। दिल्ली निवासी विजय मिश्र कहते हैं कि तीस हजारी से मेट्रो में सवार होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई और तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी जब वेलकम मेट्रो स्टेशन पर उतरे, तो लोगों में गजब का उत्साह था।
प्रत्यक्षदर्शियों की मानें, तो आम लोगों में मेट्रो को लेकर गजब की बेताबी थी। दिल्ली एनसीआर के लोग बैचैनी से इसके पटरियों पर दौड़ने का इंतजार कर रहे थे। जब मेट्रो स्टेशनों के दरवाजे पहली बार आम लोगों के लिए खुले, वह अविस्मरणीय नजारा था। ऐसी बेकाबू भीड़ दिल्ली में कम ही मौके पर दिखती है। उसी दिन एक प्रेस वार्ता में मेट्रो के सपने को साकार करने वाले मेट्रो मैन ई श्रीधरन ने भारी भीड़ उमड़ने को लेकर कहा था कि ‘कायदे से यही मेट्रो की सफलता है।
दिल्ली मेट्रो की विश्वस्तरीय सेवा ने दिल्ली और एनसीआर के शहरों की दूरियों को पूरी तरह पाट दिया है। अब कनॉट प्लेस से नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, पलवल, गुरुग्राम या बहादुरगढ़ उतने दूर नहीं लगते, जितने दूर कभी हुआ करते थे। माना जाना चाहिए कि आने वाले दिनों में रैपिड रेल भी दिल्ली को मेरठ के बेहद करीब ले आएगी।