देश रोज़ाना: लाख टके का सवाल है कि साल 2047 में जब देश आजादी का सौ साल पूरा कर रहा होगा तब क्या आज का भारत वाकई में 30 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था के साथ विकसित देश बन चुका होगा? विदित हो कि एक जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर केंद्रीय मंत्रिमंडल के एक संकल्प से बने थिंक टैंक नीति आयोग के मूल में दो केंद्र हैं। एक टीम इंडिया हब तो दूसरा ज्ञान और अभिनव। एक जहां केंद्र सरकार के साथ राज्यों की भागीदारी का नेतृत्व करता है तो वहीं दूसरा ज्ञान और नूतनता से संबंधित थिंक टैंक क्षमताओं का निर्माण करता है। भारत विकास का निर्माण की दिशा और दशा में नीति आयोग को बड़ी उम्मीदों से देखा जाता है। फिलहाल विकसित भारत का रोड मैप की जिम्मेदारी भी नीति आयोग को दी गई है। इस रोड मैप को तैयार करने के लिए राज्यों के साथ भी विचार-विमर्श जारी है।
2024 चुनावी वर्ष है। लिहाजा अगला बजट अंतरिम कहा जाएगा। उम्मीद है कि विकसित भारत के रोड मैप की झलक मोदी सरकार इसमें दिखाएगी। गौरतलब है कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत के निर्माण को लेकर केंद्र सरकार योजनाबद्ध तरीके से ब़ढ़ने के प्रयास में है। साढ़े तीन ट्रिलियन डालर से अधिक अर्थव्यवस्था वाला भारत आजादी के सौ वर्ष पूरे होने पर 30 ट्रिलियन डालर की उम्मीद से भरा है। हालांकि 2024 तक अर्थव्यवस्था का आकार पांच ट्रिलियन करने का प्रयास बीते कुछ वर्ष से जारी है। मगर विकास दर को देखते हुए ये दूर की कौड़ी लगती है।
65 वर्ष पुराने योजना आयोग को इतिश्री करते हुए जब नीति आयोग को प्रकाश में लाया गया तो इसके पीछे कुछ वाजिब तर्क थे। विविधताओं से भरा भारत और इसके राज्य आर्थिक विकास के विभिन्न चरण में हैं जिसके अपनी भिन्न-भिन्न ताकतें और कमजोरियां हैं। जाहिर है कि आर्थिक नियोजन के लिए सभी पर एक प्रारूप लागू हो यह समय के साथ सही नहीं रहा। मौजूदा वैश्विक अर्थव्यवस्था में मापदंड बदले हैं। भारत को स्पर्धी के तौर पर स्थापित करने में योजना आयोग को अप्रासंगिक समझा गया। फलस्वरूप नीति आयोग जैसे थिंक टैंक को महत्व दिया गया जिसमें सहकारी संघवाद की भावना को केंद्र में रखते हुए अधिकतम शासन और न्यूनतम सरकार की परिकल्पना निहित थी।
नीति आयोग के मायने बड़े है और इसे बहुत कुछ सहेजने की युक्ति से युक्त रहना पड़ता है। देखा जाए तो वित्त वर्ष 2022-23 में चीन के साथ 83 अरब डालर का व्यापार घाटा था। इस पर भी नीति आयोग का कशमकश जारी है। फिलहाल साल 2047 तक देश में कहीं भी झुग्गी बस्ती न हो, इसकी भी कोशिश की जा रही है। कचरे न फैले हों, बच्चे स्कूल से ड्राप आउट न हों, बच्चे आॅनलाइन, आॅफ लाइन की पढ़ाई अपनी मर्जी से कर सकें अर्थात टेक्नोलोजी में भारत को अव्वल रखने की जिम्मेदारी भी नीति आयोग की ही है। सभी पंचायतों में हेल्थ सेंटर और सभी जिलों में मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल आदि का रोड मैप भी 2047 के लिए ही है। नीति आयोग जिस मूल भावना पर टिका है, उसमें बॉटम-अप-अप्रोच भी शामिल है। हालांकि इसे न तो नीति लागू करने का अधिकार है और न ही इसे धन आवंटन करने की शक्तियां हैं।
गौरतलब है कि नीति आयोग ने तीन दस्तावेज पहले ही जारी किए हैं जिसमें तीन वर्षीय एजेंडा, साच वर्षीय मध्यम अवधि की रणनीति का दस्तावेज और 15 वर्षीय लक्ष्य दस्तावेज शामिल है। विशेषज्ञों का मत है कि नीति आयोग के पास केंद्र और राज्य सरकारों के कार्यक्रमों का स्वतंत्र अवलोकन करने की शक्ति है। अपनी स्थापना के बाद से नीति आयोग ने अर्थव्यवस्था के विकास और देश के नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से कई पहल की जिसमें कृषि उत्पादन, विपणन सहित अधिनियम के सुधार, मेडिकल एजुकेशन को सुधारना, डिजिटल भुगतान आंदोलन, अटल इनोवेशन मिशन, गरीबी उन्मूलन, कृषि विकास पर कार्यबल समेत कई बिंदुओं पर इसे विस्तार से देखा जा सकता है। (यह लेखक के निजी विचार हैं।)
– डॉ. सुशील कुमार सिंह